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जानिए भौम प्रदोष व्रत का महत्व एवं कथा !

भौम प्रदोष व्रत तिथि के अनुसार 13वें दिन त्रयोदशी को आता है, त्रयोदशी या प्रदोष व्रत प्रतिमाह दो बार आता है, पहला शुक्ल पक्ष व दूसरा कृष्ण पक्ष, इस दिन महादेव की पूजा अर्चना की जाती है, जिस भी वार में यह तिथि पड़ती है उसी अनुसार यह व्रत होता है।
 

मंगल प्रदोष व्रत तिथिः-

मंगलवार, 02 अप्रैल 2019

मंगलवार को पड़ने वाले व्रत को भौम प्रदोषम कहते हैं, इस व्रत को करने से सुख समृद्धि बढ़ती है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी छुटकारा मिल जाता है, इस व्रत की पूजा का समय सायं 4ः30 बजे से सांय 7ः00 बजे तक होता है।​

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प्रदोष व्रत की महिमाः-

हमारे धार्मिक पुराणों के अनुसार भगवान शिव के भक्त गंगा नदी के तट पर श्री सूत जी ने प्रदोष व्रत की महिमा सनकादि ऋषियों को सुनाई थी, शिव भक्त श्री सूत जी ने कहा था कि कलयुग में अधर्म की ही प्रधानता होने वाली है, सभी मनुष्य धर्म की राह को छोड़कर अधर्म के मार्ग पर चलेंगे, कलयुग में हर तरफ केवल अन्याय, आतंक, अशांति होगी, मनुष्य अत्याचारी हो जायेगा, अनाचारी हो जायेगा, अपने कर्तव्यों को भुलाकर नीच कर्मों का भागीदार बनेगा जिसके परिणाम में धर्म का पतन होने लगेगा, कलयुग में जो व्यक्ति प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करता है उस व्यक्ति पर शिव जी की कृपा सदैव रहती है, भक्तों की मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूरी हो जायेंगी, शिव शंकर की कृपा दृष्टि से भक्तों को मृत्यु के उपरांत स्वर्ग की प्राप्ति होती है।​

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भौम प्रदोष व्रत कथाः-

एक बहुत ही वृद्ध महिला किसी नगर में निवास करती थी, उसका एक पुत्र था जिसका नाम मंगलिया था, वह महिला हनुमान जी की भक्ति करती थी, वह नियमपूर्वक प्रत्येक मंगलवार को व्रत रखती व हनुमान जी की पूजा करती थी, वह महिला उस दिन न तो घर लीपती थी न ही मिट्टी को खोदती थी, वृद्धा को व्रत करते हुए कई दिन बीत चुके थे, एक दिन हनुमान जी के मन में उसकी परीक्षा लेने की बात आई, हनुमान जी ने एक साधु का वेश धारण किया और उस वृद्धा के पास जाकर पुकारने लगे- है कोई हनुमान का ऐसा भक्त जो मेरी इच्छा को पूरा करे, यह सुनकर वृद्धा बाहर आई और बोली आज्ञा करिये महाराज, हनुमान जी बोले- मैं बहुत देर से भूखा हूँ भोजन की कामना करता हूँ, थोड़ी सी जमीन लीप दे, महिला दुविधा में आ गई, वृद्धा ने साधु रूपी हनुमान के आगे हाथ जोड़े और कहा कि मिट्टी खोदने के अतिरिक्त और कोई भी दूसरी आज्ञा दें मैं अवश्य ही उसे पूर्ण करूँगी, साधु ने 3 बार प्रतिज्ञा कराई फिर कहा- अपने बेटे को बुलाओ मुझे उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाना है, वृद्धा के पैरों तले धरती खिसक गई वह कांपने लगी मगर वह क्या करती वह प्रतिज्ञाबद्ध थी उसने मंगलिया को बुलाया और साधु के हवाले कर दिया, मगर भगवान ऐसे ही नहीं मानने वाले थे उन्होंने वृद्धा से ही उसके बेटे को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग भी जलवाई, आग जलाकर वृद्धा रोती बिलखती हुई घर के भीतर चली गई।

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भोजन तैयार करके साधु ने वृद्धा को बुलाया और कहा- मंगलिया को पुकारो वह भी आकर भोग लगायेगा, वृद्धा रोते हुए बोली- मेरे पुत्र का नाम लेकर मुझे और कष्ट न दीजिये, साधु महाराज के ज़ोर देने पर वृद्धा ने अपने पुत्र मंगलिया को पुकारा, उसके पुकारते ही मंगलिया दौड़ा दौड़ा उसके पास आ गया, अपने पुत्र को जीवित देखकर उसकी खुशी का कोई ठिकाना न रहा, वह रोती हुई साधु के चरणों में गिर गई और साधु ने अपना वास्तविक रूप धारण किया, साक्षात श्री हनुमान जी को अपने सामने देख वृद्धा का जीवन सफल हो गया।
सूत जी बोले- मंगल प्रदोष व्रत से शंकर जी (हनुमान जी भी रूद्र हैं) तथा पार्वती जी इसी प्रकार भक्तों को साक्षात दर्शन देकर कृतार्थ करते हैं।

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