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क्या है वैष्णों देवी की गर्भगुफा का रहस्य?(What is the Secret of the Garbhgufa of Vaishno Devi?)

हमारे देश के हर राज्य में अनेकों मंदिर हैं, और इन सभी मंदिरों की कोई न कोई खासियत है। इसी वजह से इन मंदिरों के दर्शन के लिए हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ लगी ही रहती है। कई सारे मंदिर तो इतने प्रसिद्ध हैं कि उनके दर्शनों के लिए विदेशों से भी लोग आते हैं। ऐसा ही एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर है, वैष्णो देवी मंदिर

वैष्णो देवी की महिमा :-

वैष्णो देवी माँ का मंदिर जम्मू में त्रिकुटा पहाड़ों की हसीन वादियों के बीच स्थित है। सर्दियों की कड़क ठण्ड में भी यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कोई कमी नहीं होती। इस मंदिर के चमत्कार कहें या रहस्य, ये हमेशा ही श्रद्धालुओं को लुभाते हैं। कहते हैं कि जब माता का बुलावा आता है तभी कोई भक्त दर्शन के लिए यहां आ पाता है, माँ की इच्छा के बिना कोई व्यक्ति उनका दर्शन नहीं कर पाता। चाहे वो मंदिर तक ही क्यों न आ गया हो, यदि माँ की अनुमति नहीं है तो वह गुफा में फंस जाता है और दर्शन से वंचित हो जाता है। मान्यता है कि बुरे कर्मों वाले मनुष्य को माता रोक लेती है, और जो सच्चे ह्रदय से दर्शन के लिए आते हैं वो बिना किसी रुकावट के माँ के दर्शन पा लेते हैं।

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मंदिर की प्रचीन गुफा :-

प्राचीन समय में देवी के मंदिर तक पहुंचने के लिए एक प्राचीन गुफा का प्रयोग किया जाता था। यह गुफा बहुत ही चमत्कारी और रहस्यों से भरी हुई है। माता वैष्‍णो देवी के दर्शन के ल‌िए वर्तमान में ज‌िस रास्ते का इस्तेमाल क‌िया जाता है, वह गुफा में प्रवेश का प्राकृत‌िक रास्ता नहीं है। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए कृत्र‌िम रास्ते का न‌िर्माण 1977 में ‌‌क‌िया गया। वर्तमान में इसी रास्ते से श्रद्धालु माता के दरबार में पहुंचते हैं।

आज केवल कुछ क‌िस्मत वाले भक्तों को ही प्राचीन गुफा से माता के भवन में प्रवेश का सौभाग्य म‌िल पाता है। यहां पर न‌ियम है क‌ि जब कभी भी दस हजार के कम श्रद्धालु होते हैं तब प्राचीन गुफा का द्वार खोल द‌िया जाता है। बताया जाता है कि इस  गुफा में भैरव का शरीर रखा है। जब माता वैष्णों ने भैरव को त्रिशूल से मारा था तो भैरव का सिर उड़कर भैरव घाटी में चला गया और शरीर उसी गुफा में रह गया था। इस पवित्र गुफा से पवित्र गंगा जल भी निकलता है जो अपने आप में ही एक चमत्कार है। इस पवित्र जल को छूने मात्र से ही मनुष्य का मन निर्मल और आत्मा शुद्ध हो जाती है। इस जल से पवित्र होकर माता के दरबार में पहुंचने का विशेष महत्व माना जाता है। 

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गर्भजून का रहस्य :-

मंदिर तक पहुंचने वाली घाटी में कई पड़ाव भी हैं, जिनमें से एक है आद‌ि कुंवारी या आद्यकुंवारी। यहीं एक और गुफा भी है, ज‌िसे गर्भजून अथवा गर्भगुफा के नाम से जाना जाता है। कुछ लोग मानते हैं कि जो भी व्यक्ति अपने जीवन में एक बार इस गर्भगुफा में चला जाता है, वो दुबारा यहां नहीं आ पाता।

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इसका कारण यही है कि कोई भी मनुष्य अपने जीवनकाल में केवल एक ही बार गर्भ (अपनी माँ के गर्भ) में रहता है। बाहर आने के बाद दुबारा गर्भ में नहीं जा सकता। गर्भजून गुफा को लेकर मान्यता है क‌ि माता यहां 9 महीने तक उसी प्रकार रही ‌‌‌थी जैसे एक श‌िशु माता के गर्भ में 9 महीने तक रहता है। गर्भजून गुफा को लेकर माना जाता है कि इस गुफा में जाने से मनुष्य को फ‌िर गर्भ में नहीं जाना पड़ता है अर्थात जिसे यहां जाने का सौभाग्य मिला उसे जन्मों के कुचक्र से मुक्ति मिल जाती है। अगर मनुष्य गर्भ में आता भी है तो उसे कष्ट नहीं उठाना पड़ता है और उसका जन्म सुख एवं वैभव से भरा होता है।

 

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