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बल, बुद्धि, विद्या के दाता हनुमान जी की जयंती ! (Hanuman Jayanti )

हनुमान जयंती के जन्म दिवस को हर साल हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है, भारतीय हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार यह त्यौहार हर साल चैत्र (चैत्र पूर्णिमा) माह के शुक्ल पक्ष में 15वें दिन मनाया जाता है, हनुमान जी एक ऐसे देवता हैं जिन्हें प्रसन्न करना सबसे आसान है वह अपने भक्तों से अति शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं, हनुमान जयंती हिन्दुओं का पर्व है, हनुमान जी का जन्मदिन साल में दो बार मनाया जाता है, हनुमान जी का पहला जन्मदिन चैत्र पूर्णिमा को और दूसरा कार्तिक माह की चौदस को मनाया जाता है, इस साल हनुमान जयंती 19 अप्रैल 2019 (शुक्रवार) को मनाई जायेगी।

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पवनपुत्र हनुमान भक्त शिरोमणि हैं, इस संसार में उनसे बड़ा भक्त कोई और नहीं है, चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान हनुमान ने शिव के ग्याहरवें अवतार के रूप में धरती पर जन्म लिया था, हनुमान जी के बहुत से भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने के लिये उनका व्रत हनुमान के प्रिय दिन मंगलवार को करते हैं, शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी की पूजा करने से राहु और शनि ग्रह के दोष खत्म हो जाते हैं।

अष्टचिरंजीवी हैं प्रभुः-

श्री हनुमान अष्टचिरंजीवी में से एक हैं क्योंकि वे अजर-अमर देवता हैं, उन्होंने मृत्यु को प्राप्त नहीं किया, बजरंग बली उपासना करने वाला भक्त कभी भी पराजित नहीं होता, हनुमान जी का जन्म सूर्योदय के समय बताया गया है इसलिए इसी काल में उनकी पूजा अर्चना और आरती का विधान है।

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हनुमान जयंती पूजा का शुभ मुहूर्तः-

तिथि, 30 चैत्र, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा, विक्रम संवत

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ: 18 अप्रैल 2019, गुरूवार, सायं 19ः26 बजे  

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 19 अप्रैल 2019, शुक्रवार, सायं 16ः41 बजे

हनुमान जयंती पूजन विधिः-

पूजन सामग्री -

एक चौकी, लाल कपड़ा, हनुमान जी का चित्र, अक्षत (बिना टूटे चावल), तुलसी की कुछ पत्तियां, धूप, घी का दीया, ताजे फूल, चंदन या रोली, गंगाजल, नैवेद्य।
सभी सामग्रियों को पूजाघर में इकट्ठा करें और फिर चौकी पर अच्छी तरह से लाल कपड़ा बिछा दें, फिर चौकी पर हनुमान जी की मूर्ति या फोटो लगाएं, सबसे पहले गणपति जी का नमन करें, गणेश जी को सर्वप्रथम ही पूजा जाता है क्योंकि वे विघ्नहर्ता हैं, वह आपका व्रत पूर्ण करने में सहायता करेंगे, दीया और धूप जलाएं, गणेश जी की दीये और धूप से पूजा करें, इसके बाद हनुमान जी के सामने दीप और धूप प्रज्वलित करें, हनुमान जी पर पुष्प अर्पित करें और फिर जल अर्पण करें, इसके बाद बूंदी अथवा बेसन के लड्डू प्रसाद के रूप में चढ़ाएं।

इसी प्रकार पंचोपचार के बाद तुलसी और सिंदूर भी चढ़ाएं, हनुमान जी के माथे पर चंदन का तिलक लगाएं साथ ही चावल भी लगाएं, हनुमान जी को केसरिया रंग के वस्त्र अर्पण करें, इसके बाद हनुमान मंत्र ’ओम हं हनुमते नमः’ का 108 बार जाप करें, हनुमान जी के सामने ध्यान की मुद्रा में बैठकर मंत्रों का उच्चारण करें, पूरे ध्यान पूर्वक हनुमान जी की पूजा करने के बाद अंत में आरती करने के बाद हनुमान जयंती की पूजा को सम्पन्न करें।

हनुमान जयंती की पौराणिक कथाः-

पूर्व जन्म में माता अंजनि देवराज इंद्र के दरबार में अप्सरा पुंजिकस्थला थीं, बचपन में वह अत्यंत सुंदर और स्वभाव से चंचल थी, एक समय की बात है जब अपनी चंचलता के कारण ही उन्होंने तपस्या करते एक तेजस्वी ऋषि के साथ अभद्रता कर दी।
ऋषि ने क्रोधित होकर पुंजिकस्थला को श्राप दे दिया कि जा तू वानर की तरह स्वभाव वाली वानरी बन जा, ऋषि के श्राप से भयभीत होकर पुंजिकस्थला ने ऋषि के सामने क्षमा याचना की, ऋषि ने दया दिखाते हुए कहा कि तुम्हारा वह रूप भी परम तेजस्वी होगा, तुम एक ऐसे पुत्र को जन्म दोगी जिसकी कीर्ति और यश से तुम्हारा नाम युगों युगों तक अमर हो जायेगा।
वह बंदरों के राजा कुंजार की पुत्री बनी और उनका विवाह सुमेरू पर्वत के राजा केसरी से हुआ, अंजना ने संतान प्राप्ति के लिए 12 वर्षों तक भगवान शिव की घोर तपस्या की, उन्होंने पांच दिव्य तत्वों जैसे- ऋषि अंगिरा का आशिर्वाद, भगवान शिव का आशिर्वाद, वायु देव का आशिर्वाद और पुत्रेष्टि यज्ञ से हनुमान को जन्म दिया, यह माना जाता है कि भगवान शिव ने पृथ्वी पर मनुष्य के रूप में पुर्नजन्म 11वें रूद्र अवतार के रूप में हनुमान बनकर जन्म लिया, क्योंकि वह अपने वास्तविक रूप में भगवान श्री राम की सेवा नहीं कर सकते थे।
मनुष्यों और वानरों को बहुत खुशी हुई और महान उत्साह और जोश के साथ नाचकर, गाकर और खुशी मनाकर उनका जन्मदिन मनाया गया, तभी से यह दिन उनके भक्तों के द्वारा उन्हीं की तरह ताकत और बुद्धिमता प्राप्त करने के लिए हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है।​

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हनुमान जयंती का महत्वः-

माना जाता है कि हनुमान जी महान शक्ति, आस्था, भक्ति, ज्ञान, निःस्वार्थ सेवा-भावना आदि गुणों के साथ भगवान शिव का 11वाँ रूद्र अवतार माना जाता है, उन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान श्री राम और माता सीता की भक्ति में लगा दिया बिना किसी उद्देश्य के कभी भी अपनी शक्तियों का प्रदर्शन नहीं किया, हनुमान जी के भक्त उनकी प्रार्थना उनके जैसा बल, बुद्धि का आशिर्वाद प्राप्त करने के लिए करते हैं, उनके भक्त उनकी पूजा बहुत से तरीकों से करते हैं, कुछ लोग अपने जीवन में शक्ति, प्रसिद्धि, सफलता आदि प्राप्त करने के लिए इनके नाम का जाप तथा ध्यान करते हैं, और कुछ भक्त हनुमान चालिसा का पाठ करते हैं।

हनुमान जयंती मना कर उनकी कथा श्रवण करने से हमें भी उनके आचरण और नियम को जीवन में उतारने की प्रेरणा मिलती है, हनुमान जी सर्वशक्तिमान थे फिर भी श्री राम के सेवक बनकर रहे, उन्होंने कभी अपनी शक्ति पर अहंकार नहीं किया और सदा ही राम भक्ति में लीन रहे, अगर हम इनमें से कोई भी एक गुण अपने जीवन में उतार पाएं तो हमारा जीवन धन्य हो जाएगा।

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