सूर्य पुत्र शनिदेव को लेकर हिन्दू समाज में कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं, जैसे कि वह गुस्सैल, भावहीन और निर्दयी हैं। लेकिन इनमें से कुछ भी सत्य नहीं है, शनिदेव न्याय के देवता हैं। और वह व्यक्ति को उसके कर्मों का ही फल अथवा दंड देते हैं। इसी कारण भगवान शिव ने शनि महाराज को नवग्रहों में न्यायाधीश का काम सौंपा है। उनकी कृपा जिस पर होगी, उसे जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होगी। आपको जानकर हैरानी भी होगी कि जिस शनि के प्रकोप से दुनिया डरती है वह भी कुछ देवी-देवताओं से डरते हैं इसलिए वे इनके भक्तों पर क्रोधित नहीं होते। कौन हैं ये देवी-देवता आइये जानते हैं इस लेख में –
सूर्यदेव :-
शनि महाराज भगवान सूर्य और उनकी दूसरी पत्नी छाया के पुत्र हैं। सूर्य ने अपने ही पुत्र शनि को शाप देकर उनके घर को जला दिया था। इसके बाद शनि ने तिल से अपने पिता सूर्य देव की पूजा की जिससे सूर्य प्रसन्न हो गए। इस घटना के बाद से तिल से शनि और सूर्य की पूजा की परंपरा शुरू हुई।
हनुमान जी :-
शनि महाराज को जिनसे डर लगता है उनमें सबसे मुख्य नाम है हनुमान जी का। हनुमान जी ने शनिदेव का घमंड तोडा था, तब से शनिदेव से पहले हनुमान जी की पूजा का भी विधान बन गया। कहते हैं हनुमानजी के दर्शन और उनकी भक्ति करने से शनि के सभी दोष समाप्त हो जाते हैं और हनुमान जी के भक्तों को शनिदेव परेशान नहीं करते।
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श्रीकृष्ण :-
श्रीकृष्ण, शनि महाराज के ईष्ट देव माने जाते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब कृष्ण जन्म हुआ तो शनिदेव को उनकी वक्रदृष्टि के दोष के कारण अन्य देवताओं ने कृष्ण के दर्शन नहीं करने दिए। जिससे शनिदेव दुखी हो गए और उन्होंने कोकिलावन में कड़ा तप किया। जिससे कृष्ण द्रवित हो गए और उन्होंने शनिदेव को कोयल के रूप में दर्शन दिए। शनि महाराज ने कान्हा को वचन दिया था कि वह कृष्ण भक्तों को परेशान नहीं करेंगे
पीपल का वृक्ष :-
कहते हैं कि पीपल के वृक्ष पर शनिदेव का वास रहता है। कहा जाता है की एक असुर कैटभ ने एक ऋषि आश्रम में पीपल का रूप धारण कर रखा था । जब भी कोई ऋषि उस पेड़ के नीचे आता तो वो असुर उसे निगल जाता। सभी ऋषि मुनि शनिदेव के पास गए और उनसे सहायता मांगी, और शनिदेव ने उस राक्षस का संहार कर दिया। शनिदेव ने ऋषि मुनियों की रक्षा के लिए उन्हें वचन दिया था कि पीपल की पूजा करने वालों की वह स्वयं रक्षा करेंगे।
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शनि की धर्मपत्नी :-
शनि महाराज अपनी पत्नी से भी भयभीत रहते हैं। इसलिए ज्योतिषशास्त्र में शनि की दशा में शनि पत्नी के नाम का मंत्र जपना भी एक उपाय माना गया है। इसकी कथा यह है कि एक समय शनि पत्नी ऋतु स्नान करके शनि महाराज के पास आई। लेकिन अपने ईष्ट देव शिव के ध्यान में लीन शनि महाराज ने पत्नी की ओर नहीं देखा। क्रोधित होकर पत्नी ने शाप दे दिया कि अब से आप जिसे देखेंगे उसके बुरे दिन शुरू हो जाएंगे। ज्योतिषशास्त्र में शनिदेव की पत्नी को प्रसन्न करने का मन्त्र -
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया। कंटकी कलही चाऽथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनेर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्। दुःखानि नाशयेन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखम।।
भगवान शिव :-
भगवान शिव शनि महाराज के आराध्य हैं। भगवान शिव ने शनि महाराज से कहा कि मेरे भक्तों पर तुम अपनी वक्र दृष्टि नहीं डालोगे। इसलिए शिव भक्त शनि के कोप से मुक्त रहते हैं।
(source- http://youthtrend.in/shani-dev-afraid-of-these-gods/)
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