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बुद्ध पूर्णिमा : जानें क्या था इस दिन का महासंयोग ? (Buddha Purnima)

वैशाख मास की पूर्णिमा को गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में मनाया जाता है, इसीलिए वैशाख पूर्णिमा को ही बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है, वर्ष 2019 में बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती 18 मई शनिवार को है, इस दिन गौतम बुद्ध की 2581वीं जयंती मनाई जाएगी, वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, इसी दिन बोधगया में पीपल के वृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी और वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध ने गोरखपुर से 50 किलोमीटर दूर स्थित कुशीनगर में महानिर्वाण की ओर प्रस्थान किया था, किसी अन्य महापुरूष के साथ ऐसा महासंयोग हुआ हो, इसका कहीं भी उल्लेख नहीं मिलता, जहां विश्वभर में बौध धर्म के करोड़ों अनुयायी और प्रचारक हैं वहीं उत्तर भारत के हिंदू धर्मावलंबियों द्वारा बुद्ध को विष्णुजी का नौवां अवतार माना गया है।

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बुद्ध पूर्णिमा तिथि व मुहूर्तः-

बुद्ध पूर्णिमा तिथि - 18 मई 2019, शनिवार
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ: 18 मई 04ः10, 2019 शनिवार
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 19 मई 02ः41, 2019 रविवार

हुई थी ज्ञान की प्राप्तिः-

कपिलवस्तु के राजकुमार सिद्धार्थ 27 वर्ष की आयु में शांति की खोज में घर-परिवार, राजपाट आदि छोड़कर चले गए थे, भ्रमण करते हुए सिद्धार्थ काशी के समीप सारनाथ पहुँचे जहाँ उन्होंने धर्म परिवर्तन किया, बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे उन्होंने कठोर तपस्या की थी, कठोर तपस्या के बाद सिद्धार्थ को बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई और वह महान संयासी गौतम बुद्ध के नाम से प्रचलित हुए और अपने ज्ञान से समूचे विश्व को ज्योतिमान किया।

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बुद्ध पूर्णिमा का महत्वः-

ऐसी बहुत सी मान्यताएं हैं जो बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी हैं, माना गया है कि इस दिन भगवान विष्णु ने अपना नौवां अवतार लिया था, यह अवतार भगवान बुद्ध के नाम से लोकप्रिय है, यही नहीं इसी दिन भगवान बुद्ध ने मोक्ष प्राप्त किया था, इस दिन को लोग सत्य विनायक पूर्णिमा के तौर पर भी मनाते हैं, कहा जाता है कि इस दिन सच्चे मन से व्रत करने से गरीबी दूर होती है और घर में सुख समृद्धि आती है, इस दिन बहुत लोग धर्मराज की पूजा भी करते हैं, जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत करता है तो उससे धर्मराज खुश होते हैं और लोगों को अकाल मृत्यु का डर भी नहीं सताता।

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बुद्ध ने चार आर्यसत्य बताए जिनके जरिए मनुष्य अपने जीवन को सफलतापूर्वक जी सकता है।

1. दुख है, 2. दुख का कारण है, 3. दुख का निवारण है, 4. दुख निवारण का उपाय है

दुख निवारण के उपाय के तौर पर बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग का सूत्र दियाः

1. यम, 2. नियम, 3. आसन, 4. प्राणायाम,
5. प्रत्याहार, 6. ध्यान, 7. धारणा, 8. समाधि

बुद्ध पूर्णिमा न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के अन्य कई देशों में भी पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, इसमें श्रीलंका, कंबोडिया, वियतनाम, चीन, नेपाल, थाईलैण्ड, मलेशिया, म्यांमार, इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं, श्रीलंका में यह दिन ’वेसाक’ के नाम से जाना जाता है जो कि वैशाख का ही अपभ्रंश है।

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