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कामिका एकादशी: अनजाने में हुए पाप का निवारण करें इस व्रत से!

कामिका एकादशी व्रत मुहूर्त :-

एकादशी व्रत तिथि – 16 जुलाई 2020 (बृहस्पतिवार)

एकादशी तिथि प्रारंभ - सांय 10:09 बजे (15 जुलाई 2020)

एकादशी तिथि समाप्त - सांय 11:44 बजे (16 जुलाई 2020)

पारण समय - प्रातः 05:57 से 08:19 (17 जुलाई 2020)

कामिका एकादशी :-

एक वर्ष में 24 अथवा 26 एकादशियाँ आती हैं, सामान्य वर्ष में 24 तथा जब अधिकमास लगता है तब इनकी संख्या 26 हो जाती है। प्रत्येक एकादशी का अपना अपना महत्व है। किन्तु सभी एकादशी मनुष्य के जीवन को तथा उसके व्यक्तित्व को सुधारती है। उसके संचित पुण्यों को बढ़ाती है तथा पापों का संहार करती है। यदि किसी मनुष्य से अनजाने में कोई पाप हो जाये तो प्रायश्चित करने के लिए एकादशी का व्रत अत्यंत फलदायी है। 

कामिका एकादशी का महत्व :-

युधिष्ठिर जी कृष्ण जी से श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी का महत्व अपने स्वयं के तथा लोक कल्याण के लिए पूछते हैं। इस पर श्री कृष्ण जी बताते हैं की इस एकादशी का महत्व ब्रह्मा जी ने नारद जी को बताया था। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी का नाम कामिका एकादशी है, इस व्रत के करने से मनुष्य को वाजपेयी यज्ञ का फल प्राप्त होता है। इस दिन नारायण के चतुर्भुज रूप का पूजन होता है। जो पुण्य मनुष्य को गंगा, काशी, नैमिषारण्य तथा पुष्कर में दर्शन करने से मिलता है उस से कई गुना अधिक पुण्य इस व्रत के करने से मनुष्य स्वतः ही पा जाता है।

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किसी पाप के प्रायश्चित के लिए जब कोई मनुष्य भूमि दान करता है उसका पाप कम हो जाता है किन्तु यदि कोई मनुष्य निष्ठापूर्वक कामिका एकादशी का व्रत करता है तो उसको स्वतः किसी भी पाप से मुक्ति मिल जाती है।

कामिका एकादशी की पूजन विधि :-

कामिका एकादशी के नियम किसी भी अन्य एकादशी की ही तरह होते हैं। इसमें एक दिन पूर्व ही व्रत के नियमों का पालन करते हुए सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए तथा एकादशी की प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि करना चाहिए। स्नान के पश्चात् एक चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए, यदि प्रतिमा न हो तो कोई चित्र ही लगा लें। और फिर विधिवत नारायण की पूजा अर्चना तथा अभिषेक आदि करना चाहिए। मंदिर में धूप बत्ती जलाकर नारायण की आरती उतारनी चाहिए तथा कामिका एकादशी की कथा पढ़नी चाहिए। इसके पश्चात् ब्राह्मणो के द्वारा विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी करा सकते हैं यदि उच्चारण सही हो तो स्वयं ही इसका जाप कर लें। इस दिन दान दक्षिणा भी देनी चाहिए, हो सके तो भूखे को भोजन करा दें। शाम के समय भी नारायण की विधिवत उपासना करें, आटे का प्रसाद बनाकर तथा पंचामृत बनाकर नारायण को अर्पित करें तथा औरों को प्रसाद बाँट कर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें। इस दिन तुलसी दल से नारायण की पूजा करने से वे अत्यंत प्रसन्न होते हैं।

कामिका एकादशी व्रत कथा :-

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एक बार एक गाँव में एक क्षत्रिय रहता था। किसी कारणवश एक दिन उसकी एक ब्राह्मण से कहासुनी हो गयी। झगड़ा इतना बढ़ गया कि दोनों हाथापाई पे उतर आये, और फिर भूल से क्षत्रिय के हाथों ब्राह्मण की हत्या हो गयी। वह बिलकुल भी उसे मारना नहीं चाहता था, किन्तु अनजाने में यह पाप कर बैठा। अपनी भूल का पश्चाताप करने के लिए उसने ब्राह्मणों से उसी अंतिम क्रिया में भाग लेने की इच्छा जताई। किन्तु सबने मना कर दिया और कहा तुम पर ब्राह्मण हत्या का पाप लगा है इसलिए यदि संभव हो तो इसका पश्चाताप करो और इस पाप से मुक्ति पाओ अन्यथा तुम्हे नर्क की प्राप्ति होगी।

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यह सुनकर क्षत्रिय डर गया और उनसे पाप मुक्ति का उपाय पूछने लगा। तब ब्राह्मणों ने उसे श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की कामिका एकादशी के व्रत का पालन करने का सुझाव दिया और कहा यह व्रत करने से तुम पाप मुक्त हो जाओगे और उसके बाद ही सभी ब्राह्मण तुम्हारे घर प्रायश्चित भोज पर आ सकेंगे। यह बात सुनकर उसने कामिका एकादशी का नियमपूर्वक श्रद्धा से पालन किया और उसके इस व्रत से विष्णु जी प्रसन्न हुए और उन्होंने उसे दर्शन दिए। श्री विष्णु के दर्शन पाकर वह अत्यंत प्रसन्न हुआ और उसने उन्हें बारम्बार नमन किया। तब भगवान विष्णु ने उसे ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त कर दिया और बैकुंठ लोक में स्थान दिया।

इस प्रकार जो भी मनुष्य इस कथा का वर्णन करता है, नारायण उससे प्रसन्न होते हैं तथा उसे कुयोनि में जन्म लेने से बचा लेते हैं।

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