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श्राद्धपक्ष : जानिए कौन सा दिन किस श्राद्ध के लिए है उपयुक्त!

श्राद्ध का पुण्य समय शुरू हो रहा है, यही एक समय है जिसमे हम अपने से दूर जा चुके अपने प्रियजनों को अपनी श्रद्धा और उनके प्रति अपना प्रेम व्यक्त कर सकते हैं। किन्तु श्राद्धों से जुडी हुई कई बातें हैं जिनका हमे विशेष ध्यान देना चाहिए। यूँ तो श्राद्ध पितरों की मृत्यु की तिथि के अनुसार ही किया जाता है, अर्थात जिस तिथि पर मृत्यु हुई उसी तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। पर विशेष परिस्थितियों के लिए विशेष दिन बने हैं, और कई बार हमें अपने प्रियजनों की मृत्युतिथि याद नहीं रहती, ऐसी ही विशेष परिस्थितियों के लिए शास्त्रों में विशेष दिन बताये गए हैं, जो इस प्रकार हैं-

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पूर्णिमा तिथि श्राद्ध : यह श्राद्ध का पहला ही दिन है और इस दिन उनका श्राद्ध होता है जिनकी मृत्यु पूर्णिमा तिथि पर हुई हो। (01 सितंबर 2020)

प्रतिपदा तिथि श्राद्ध : इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु प्रतिपदा तिथि में हुई हो, साथ ही नाना और नानी का श्राद्ध भी इस तिथि पर किया जा सकता है(यदि उनकी मृत्यु तिथि याद नहीं है)। (02 सितंबर 2020)

द्वितीया तिथि श्राद्ध : परिवार के उन मृतक सदस्यों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु द्वितीया तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की द्वितीया तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। (03 सितंबर 2020)

तृतीया तिथि श्राद्ध : परिवार के उन मृतक सदस्यों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु तृतीया तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की तृतीया तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। (05 सितंबर 2020)

चतुर्थी तिथि श्राद्ध : परिवार के उन मृतक सदस्यों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु चतुर्थी तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की चतुर्थी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। (06 सितंबर 2020)

पञ्चमी तिथि श्राद्ध : परिवार के उन मृतक सदस्यों के लिये किया जाता है, जिनकी मृत्यु पञ्चमी तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की पञ्चमी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। (07 सितंबर 2020)

षष्ठी तिथि श्राद्ध : परिवार के उन मृतक सदस्यों के लिये किया जाता है, जिनकी मृत्यु षष्ठी तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की षष्ठी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। (08 सितंबर 2020)

सप्तमी तिथि श्राद्ध : परिवार के उन मृतक सदस्यों के लिये किया जाता है, जिनकी मृत्यु सप्तमी तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की सप्तमी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। (09 सितंबर 2020)

अष्टमी तिथि श्राद्ध : परिवार के उन मृतक सदस्यों के लिये किया जाता है, जिनकी मृत्यु अष्टमी तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की अष्टमी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। (10 सितंबर 2020)

नवमी तिथि श्राद्ध : नवमी पर उनका श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु नवमी तिथि पर हुई हो और नवमी तिथि का श्राद्ध स्त्रियों के लिए विशेष माना गया है। परिवार की माताओं और अन्य स्त्रियों का श्राद्ध इस दिन किया जा सकता है, इसलिए इसे मातृनवमी भी कहा जाता है। (11 सितंबर 2020)

द्वादशी तिथि श्राद्ध : द्वादशी तिथि पर उनका श्राद्ध होता है जिनकी मृत्यु द्वादशी तिथि पर हुई हो, और साथ ही जिन्होंने मृत्यु से पूर्व सन्यास ग्रहण किया हो अथवा सांसारिकता का त्याग किया हो। (12 सितंबर 2020)

त्रयोदशी तिथि श्राद्ध : त्रयोदशी तिथि पर उनका श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु त्रयोदशी तिथि को हुई हो और घर के मृत बच्चों का श्राद्ध करने के लिए भी इस दिन को शुभ माना जाता है। (15 सितंबर 2020)

चतुर्दशी तिथि श्राद्ध : इस तिथि पर केवल वह श्राद्ध किये जाते हैं, जिनकी मृत्यु हत्या, दुर्घटना अथवा आत्महत्या के कारण हुई हो। जिनकी सामान्य मृत्यु चतुर्दशी के दिन हुई है उनका श्राद्ध अमावस्या श्राद्ध तिथि पर ही किया जाता है। (16 सितंबर 2020)

अमावस्या तिथि श्राद्ध : जिनकी मृत्यु अमावस्या तिथि, पूर्णिमा और चतुर्दशी तिथि पर हुई हो तथा जिन लोगों को पितर की मृत्यु तिथि याद नहीं रहती उनका श्राद्ध भी इस दिन किया जा सकता है। इसे सर्व पितृ अमावस्या भी कहते हैं। (17 सितंबर 2020)

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