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गीता जयंती: किस प्रकार 'भगवत गीता' आज के समय में भी मार्गदर्शक है?

गीता जयंती तिथि :-

गीता जयंती  – 08 दिसम्बर 2019 (रविवार)

एकादशी तिथि आरंभ – 06:34 बजे (07 दिसम्बर 2019)

एकादशी तिथि समाप्त – 8:29 बजे (08 दिसम्बर 2019)

तिथि: 26, मार्गशीर्ष, शुक्ल पक्ष, एकादशी, विक्रम सम्वत

सनातन धर्म में अनेकों ग्रन्थ तथा उपनिषद लिखे गए हैं, जिनमे से भगवत गीता का स्थान सर्वश्रेष्ठ है। क्योकि मात्र गीता ही एक ऐसा ग्रंथ है जिससे कोई भी मनुष्य अपने आपको जुड़ा हुआ अनुभव करता हो। किसी भी प्रकार की समस्या श्रीमद्भागवत गीता को पढ़ने से दूर हो जाती है। मनुष्य को कर्म का सही अर्थ समझाती गीता आज के समय में भी पूजनीय है।

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गीता जयंती का महत्व:-

गीता का ज्ञान भगवान कृष्ण ने मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन अर्जुन के माध्यम से सम्पूर्ण संसार को दिया था, इसलिए यह दिन गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष गीता जयंती 08 दिसम्बर को रविवार के दिन मनाई जायगी। द्वापर युग के अंतिम चरण में ही गीता श्री कृष्ण द्वारा जगत को मिली थी। श्रीमद्भागवत गीता में कुल 18 अध्याय हैं जिनमे 6 अध्याय कर्मयोग, 6 अध्याय ज्ञानयोग तथा अन्य 6 अध्याय भक्तियोग के विषय में हैं।

श्रीमद्भगवद गीता का जन्‍म:-

सनातन धर्म में इसके सबसे बड़े ग्रन्थ के जन्म दिवस को गीता जयंती दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह अत्यंत पवित्र ग्रन्थ है, जिसमे श्री कृष्ण ने कर्मयोग का महत्म्य बताया है। गीता जयंती से उन पावन संदेशों को याद किया जाता है जो श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिए थे। यह केवल एक ज्ञान नहीं वरन जीवन जीने की एक शैली है। गीता हमे हमारे होने का अनुभव कराती है, जीवन के उद्देश्य का पालन कराती है।

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महाभारत की कथा के अनुसार कुरुक्षेत्र के मैदान में युद्ध से कुछ समय पूर्व ही अर्जुन अपने सगे सम्बन्धियों को अपने विरुद्ध खड़े देखकर दुःख में डूब जाते हैं। उनके हाथ से उनका गांडीव छूटने लगता है, और वह शास्त्रों का त्याग कर भूमि पर बैठ जाते हैं और कहते हैं मई यह युद्ध नहीं कर सकता। राज्य के लिए अपने सम्बन्धियों को मारने से अच्छा है मै वन में सन्यासी जीवन व्यतीत करूँ। मोह में बंधे अर्जुन को देखकर श्री कृष्ण ने उन्हें उनके कर्तव्य और कर्म के विषय में बताया। उनकी शंकाओं का निदान किया, शरीर को मिथ्या तथा आत्मा को ही परम सत्य बताया। श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच का यह धर्म संवाद ही गीता कहलाता है। गीता का उपदेश देते हुए श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपने विराट रूप के दर्शन भी कराये थे।

श्री कृष्ण के इस ज्ञान से अर्जुन का मोह भंग हो गया और वे युद्ध के लिए सज्ज हो गए। उन्होंने फिर से अपना गांडीव धारण किया और धर्म की स्थापना हेतु शत्रुओं का नाश किया। गीता जयंती के दिन ही को   मोक्षदा एकादशी के रूप में भी मनाया जाता है।

कैसे मनाएं गीता जयंती?:-

गीता जयंती वैष्णव पंथियों तथा कृष्ण पंथियों द्वारा विशेषकर मनाई जाती है। इस दिन श्रीमद्भागवत गीता का पाठ किया जाता है। देशभर में श्री कृष्ण के मंदिरों विशेषकर इस्कॉन मंदिर में कृष्ण और गीता की विशेष पूजा की जाती है। गीता जयंती के अवसर में बहुत से लोग उपवास भी रखते हैं। इस दिन अनेक संस्थानों में गीता के पाठ पढ़े एवं सुने जाते हैं।

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