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यशोदा जयंती : जानें कैसे मिलेगा संतान प्राप्ति का आशीर्वाद ?

यशोदा जयंती मुहूर्त :-

24 फरवरी 2019 (रविवार)

षष्ठी तिथि प्रारम्भ = 06:13 (24 फरवरी 2019)

षष्ठी तिथि समाप्त = 05:04 (25 फरवरी 2019)

तिथि: 06, फाल्गुन, कृष्ण पक्ष, षष्ठी, विक्रम सम्वत

माँ यशोदा भगवान कृष्ण की माता थीं, जो की प्रेम और वात्सल्य की साक्षात् मूर्ति थी। इस बार 24 फरवरी दिन रविवार को मां यशोदा की जंयती मनाई जायगी। देशभर में भगवान कृष्ण के मंदिरों के साथ ही दुनियाभर में फैले इस्कॉन टेम्पल्स में भी यशोदा जयंती का त्योहार उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार को गोकुल में धूमधाम से मनाया जाता है क्योंकि यहीं पर भगवान कृष्ण ने माता यशोदा के साथ अपना बचपन बिताया। लोग इस दिन माता यशोदा की कहानी सुनाते हैं कि किस तरह यशोदा, अपने पुत्र, कृष्ण का ख्याल रखती थीं। श्रीकृष्ण द्वारका के राजा थे जो आज गुजरात में है, इसलिए गुजरात में भी यशोदा जयंती का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन यहां के लोग अपने घरों को माता यशोदा और कृष्ण की तस्वीरों से सजाते हैं।

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यशोदा जयंती की पौराणिक कथा :-

अपने पूर्व जन्म में माता यशोदा ने भगवान विष्णु की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें वर मांगने को कहा। माता ने बोला हे ईश्वर​ मेरी तपस्या तभी पूर्ण होगी जब आप मुझे मेरे पुत्र के रूप में प्राप्त होंगे। भगवान ने प्रसन्न होकर उन्हें कहा कि आने वाले काल में वासुदेव एवं देवकी माँ के घर जन्म लूंगा लेकिन मुझे मातृत्व का सुख आपसे ही प्राप्त होगा। समय के साथ ऐसा ही हुआ एवं भगवान कृष्ण देवकी एवं वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में प्रकट हुए, क्योंकि कंस को मालूम था कि उनका वध देवकी एवं वासुदेव की संतान द्वारा ही होगा तो उन्होंने अपनी बहन एवं वासुदेव को कारावास में डाल दिया। जब कृष्ण का जन्म हुआ तो वासुदेव उन्हें नंद बाबा एवं यशोदा मैय्या के घर छोड़ आए ताकि उनका अच्छे से पालन पोषण हो सके। तत्पश्चात माता यशोदा ने ही कृष्ण को मातृत्व का सुख दिया।

भगवान कृष्ण के प्रति माता यशोदा के अपार प्यार की किसी और से तुलना नहीं की जा सकती। यशोदाजी के सत्कर्मों व तप का ही यह फल है कि उनकी गोद में स्वयं भगवान खेल रहे हैं।

माता यशोदा के विषय में श्रीमद्भागवत में कहा गया है- ‘मुक्तिदाता भगवान से जो कृपाप्रसाद नन्दरानी यशोदा को मिला, वैसा न ब्रह्माजी को, न शंकर को, न उनकी अर्धांगिनी लक्ष्मीजी को कभी प्राप्त हुआ।

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यशोदा जयंती पूजा विधि :-

इस दिन मां यशोदा को ह्रदय से याद करें, उनका आवाहन करें एवं उनसे संतान सुख के लिए आशीर्वाद मांगें। अगर आप संतान से सम्बंधित कष्टों से गुजर रहे हैं या फिर संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं तो आपको इस दिन प्रातः काल उठ कर स्नान आदि कर स्वच्छ होकर मां यशोदा का ध्यान करना चाहिए एवं कृष्ण के लड्डू गोपाल स्वरुप का ध्यान करना चाहिए। मां को लाल चुनरी पहनाएं, पंजीरी एवं मीठा रोठ एवं थोड़ा सा मख्खन लड्डू गोपाल के लिए भी भोग के लिए रखें तथा मन ही मन अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें। माता यशोदा वह देवी हैं जिन्होंने भगवान को अपनी गोद में उठाया है, उन्हें दुलार किया है। इसलिए ऐसी ममता की मूर्ति को ह्रदय से प्रणाम करें व उनसे अपने लिए भी उनके जैसे ही लड्डू गोपाल की प्रार्थना करें।

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