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दक्षिणावृत्ति शंख के जानिए चमत्कारिक रहस्य (Dakshinavrati Shankh)

शंख से हम क्या अपने जीवन के सभी प्रकार के कष्टों को दूर कर सकते हैं, भूत-प्रेतों और राक्षसों को भगा सकते हैं, शंख में ऐसी शक्ति हो सकती है क्या जो हमें धनवान बना सकती है, कैसे शंख हमें शक्तिशाली व्यक्ति बना सकता है, पुराणों में लिखा है कि एकमात्र शंख से ये संभव है, समुद्र मंथन के दौरान ही शंख की उत्पत्ति हुई थी, महादेव को छोड़कर सभी देवताओं पर शंख से जल अर्पित किया जा सकता है, भगवान शिव ने शंखचूड़ नामक दैत्य का वध किया था अतः शंख का जल शिव को निषेध बताया गया है, शंख के नाम से कई बातें विख्यात हैं जैसे योग में शंख प्रक्षालन और शंख मुद्रा होती है, तो आयुर्वेद में शंख पुष्पी और शंख भस्म का प्रयोग किया जाता है, प्राचीनकाल में शंक लिपि भी हुआ करती थी, विज्ञान के अनुसार शंख समुद्र में पाए जाने वाले एक प्रकार के घोंघे का खोल है जिसे वह अपनी सुरक्षा के लिये बनाता है।

शंख से केवल वास्तुदोष ही दूर नहीं होता इससे आरोग्य वृद्धि, आयुष्य प्राप्ति, लक्ष्मी प्राप्ति, पुत्र प्राप्ति, पितृ दोष शांति, विवाह आदि की रूकावट भी दूर होती है, शंख और भी कई चमत्कारिक लाभों के लिये जाना जाता है, उच्च श्रेणी के श्रेष्ठ शंख कैलाश मानसरोवर, मालद्वीप, लक्षद्वीप, कोरामंडल द्वीप समूह, श्रीलंका एंव भारत में पाये जाते हैं।

त्वं पुरा सागरोत्पन्नो विष्णुना विधृतः करे।
नमितः सर्वदेवैश्य पांचजन्य नमो स्तुते।।

वर्तमान काल में शंख का प्रयोग केवल पूजा-पाठ में किया जाता है, अतः पूजा आरम्भ में शंखमुद्रा से शंख की प्रार्थना की जाती है, हिन्दू धर्म में शंख को महत्वपूर्ण और पवित्र माना गया है, शंख कई प्रकार के होते हैं, पुराणों में शंख के चमत्कारों के विषय में विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है।

शंख का महत्वः-

समुद्र मंथन के दौरान प्राप्त 14 अनमोल रत्नों में से शंख एक है, इसकी उत्पत्ति लक्ष्मी माता के साथ हुई थी इसलिये इसे ’लक्ष्मी भ्राता’ भी कहते हैं, इसीलिये कहा जाता है कि जिस घर में शंख होता है उस घर में माँ लक्ष्मी का वास होता है, अपने घर में शंख अवश्य रखें, शंख के अनेकों उपयोग और महत्व होते हैं, शंख को बजाने से सेहत में लाभ मिलता है और घर का वातावरण शुद्ध रहता है और शंख के घर में रखे रहने से आयुष्य प्राप्ति, लक्ष्मी प्राप्ति, पुत्र प्राप्ति, पितृदोष शांति, विवाह आदि की रूकावटें भी दूर होती हैं, इसके अलावा शंख कई चमत्कारिक लाभ के लिये भी जाना जाता है, उच्च श्रेणी के श्रेष्ठ शंख कैलाश मानसरोवर, मालद्वीप, लक्षद्वीप, कोरामंडल द्वीप समूह, श्रीलंका एंव भारत में पाये जाते हैं, शंख तो कई पाए जाते हैं लेकिन पांचजन्य शंख मिलना मुश्किल है, समुद्र मंथन के दौरान इस शंख की उत्पत्ति हुई थी, 14 रत्नों में से एक पांचजन्य शंख को माना गया है, शंख को विजय, समृद्धि, सुख, शांति, यश, कीर्ति और लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है, सबसे महत्वपूर्ण यह है कि शंख नाद का प्रतीक है, शंख ध्वनि को शुभ माना गया है, बर्लिन यूनिवर्सिटी ने शंख ध्वनि का अनुसंधान करके यह सिद्ध किया है कि इसकी ध्वनि कीटाणुओं को नष्ट करने की एक उत्तम औषधि है।​

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शंख 3 प्रकार के होते हैंः-

दक्षिणावृत्ति शंख, मध्यावृत्ति शंख तथा वामावृत्ति शंख, इसके अलावा लक्ष्मी शंख, गोमुखी शंख, कामधेनु शंख, विष्णु शंख, देव शंख, चक्र शंख, पौंड्र शंख, सुघोष शंख, गरूड़ शंख, मणिपुष्पक शंख, राक्षस शंख, शनि शंख, राहु शंख, केतु शंख, शेषनाग शंख, कच्छप शंख आदि प्रकार के होते हैं।

दक्षिणावर्ती शंख पुण्य के ही योग से प्राप्त होता है, यह शंख जिस भी घर में रहता है, उस घर में लक्ष्मी की वृद्धि होती है, इसे अघ्र्य आदि देने में विशेषतः प्रयोग में लाया जाता है।
वामवर्ती शंख का पेट बाईं ओर खुला होता है, इसे बजाने के लिये एक छिद्र होता है, इसकी ध्वनि से रोगोत्पादक कीटाणु कमजोर पड़ जाते हैं।

दक्षिणावर्ती शंख के प्रकारः-

दक्षिणावर्ती शंख दो प्रकार के होते हैं नर और मादा, नर शंख की परत मोटी और भारी होती है और मादा शंख की परत पतली और हल्की होती है।

दक्षिणावर्ती शंख पूजाः-

दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना यज्ञोपवीत पर करनी चाहिये, शंख का पूजन केसर युक्त चंदन से करें, प्रतिदिन नित्य क्रिया से निवृत्त होकर शंख की धूप-दीप-नैवेद्य-पुष्प से पूजा करें और तुलसी दल चढ़ाएं।
प्रथम पहर में पूजन करने से मान-सम्मान की प्राप्ति होती है, द्वितीय पहर में पूजन करने से यश व कीर्ति में वृद्धि होती है, तृतीय पहर में पूजन करने से धन सम्पत्ति में वृद्धि होती है, चतुर्थ पहर में पूजन करने से संतान प्राप्ति होती है, प्रतिदिन पूजन के बाद 108 बार या श्रद्धा के अनुसार मंत्र का जाप करें।

धन प्राप्ति में सहायक शंखः-

शंख समुद्र मंथन के समय प्राप्त 14 अनमोल रत्नों में से एक है, लक्ष्मी के साथ उत्पन्न होने के कारण इसे लक्ष्मी भ्राता भी कहा जाता है, यही कारण है कि जिस घर में शंख होता है वहाँ लक्ष्मी का वास होता है।
मोती शंख को यदि कारखाने में स्थापित किया जाये तो कारखाने में तेजी से आर्थिक उन्नति होती है, यदि व्यापार में घाटा हो रहा है, दुकान से आय नहीं हो रही हो तो एक मोती शंख दुकान के गल्ले में रखा जाये तो इससे व्यापार में वृद्धि होती है।
मोती शंख को यदि मंत्र सिद्ध व प्राण प्रतिष्ठा पूजा कर स्थापित किया जाये तो उसमें जल भरकर लक्ष्मी के चित्र के साथ रखा जाये तो लक्ष्मी प्रसन्न होती है और आर्थिक उन्नति होती है।
मोती शंख को घर में स्थापित कर रोज़ ’ओम महालक्ष्मै नमः’ 11 बार बोलकर 1-1 चावल का दाना शंख में भरते रहें, इस प्रकार 11 दिन तक प्रयोग करें, इस प्रयोग से आर्थिक तंगी समाप्त हो जाती है, इसी प्रकार प्रत्येक शंख से अलग अलग लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं।​

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शंख पूजन का लाभः-

शंख सूर्य व चंद्र के समान देवस्वरूप है जिसके मध्य में वरूण, पृष्ठ में ब्रह्मा तथा अग्र में गंगा और सरस्वती नदियों का वास है, तीर्थाटन से जो लाभ मिलता है वैसा ही लाभ शंख के दर्शन और पूजन से भी मिलता है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, शंख चंद्रमा और सूर्य के समान ही देवस्वरूप है, इसके मध्य में वरूण, पृष्ठ भाग में ब्रह्मा और अग्र भाग में गंगा और सरस्वती का निवास है, शंख से शिवलिंग, कृष्ण या लक्ष्मी विग्रह पर जल या पंचामृत अभिषेक करने पर देवता प्रसन्न होते हैं।

शंख से वास्तु दोष का निदानः-

शंख के द्वारा हम अपने वास्तु शास्त्र को भी मिटा सकते हैं, शंख को किसी भी दिन लाकर पवित्र करके पूजा स्थान पर रख लें और प्रतिदिन शुभ मुहूर्त में इसकी धूप-दीप से पूजा की जाये तो घर में वास्तु दोष का प्रभाव कम हो जाता है, गाय का दूध शंख में रखकर उसका छिड़काव घर में करें, ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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