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इस गणेश चतुर्थी होगी आप की सभी बाधाएँ दूर जानिए कैसे !

गणेश चतुर्थी - 22 अगस्त 2020 (शनिवार)

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - प्रात: काल 11:02 बजे (21 अगस्त 2020)

चतुर्थी तिथि समाप्त - प्रात: काल 07:57 बजे (22 अगस्त 2020)

गणेश चतुर्थी महत्व :-

हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुकल चतुर्थी को हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार गणेश चतुर्थी मनाया जाता है ! गणेश पुराण की कथाओं के अनुसार इसी दिन समस्त विघ्न वाधाओ को दूर करने वाले कृपा के सागर तथा भगवान शंकर और माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश का जन्म हुआ था ! विघ्नहर्ता विनायक के जन्म दिवस पर मनाये जाने वाला ये पर्व महाराष्ट्र सहित भारत में हर राज्य में बहुत श्रद्धा भाव से मनाया जाता है ! त्यौहार से दो तीन महीने पहले ही गणेश जी की मिटटी की सुन्दर - सुन्दर मूर्तियां कुशल कारीगर तैयार करना शुरू कर देते है ! इन मूर्तियों में गणेश जी को अलग - अलग रूपों में दर्शाया जाता है ! गणेश चतुर्थी के दिन इन मूर्तियों को बहुत उत्साह के साथ घर लाया जाता है और अगले दस दिनों के लिए इन्हे घर में रखकर पूजा जाता है कही जगह पर गणेश की विशाल मूर्तियों के साथ अत्यंत सुंदर पंडाल भी लगाये जाते है !

 

गणेश चतुर्थी कथा :-

एक बार भगवान शंकर स्नान करने के लिए कैलाश पर्वत से भोगवती नामक स्थान पर गए उनके जाने के बाद पार्वती जीने स्नान करते समय अपनी तन की मैल से एक पुतला बनाया और उसे सजीव कर दिया और उसका नाम उन्होंने गणेश रख दिया ! पार्वती ने गणेश जी से कहा की हे पुत्र तुम एक लाठी लेकर द्वार पर जाकर पहरा दो में भीतर स्नान कर रही हूँ ! इसलिए यह ध्यान रखना की जब तक में स्नान कर रही हूँ ! तब तक तुम किसी को भी भीतर मत आने देना ! उधर थोड़ी देर बाद भोगवती में स्नान करने के बाद जब भगवान शिवजी वापस आए और घर के अन्दर प्रवेश करना चाहा तो गणेश जी ने उन्हें द्वार पर ही रोक दिया ! इसे शिवजी ने अपना अपमान समझा और क्रोधित होकर उसका सिर धर्ड़ से अलग करके अंदर चले गए ! जब शिवजी घर के अंदर गए तो पार्वती ने उन्हें नाराज देखकर समझा कि भोजन में विलम्भ के कारण नाराज़ है ! इसलिए उन्होंने तत्काल दो थालियों में भोजन परोस कर शिवजी को बुलाया और भोजन करने का निवेदन किया तब दूसरी थाली देखकर शिवजी ने पार्वती से पूछा की ये दूसरी थाली किसके लिए लगाई है ! इस पर पार्वती जी बोली अपने पुत्र गणेश के लिए जो बाहर द्वार पर पहरा दे रहा है ! ये सुनकर शिवजी को आश्चर्य हुआ और बोले तुम्हारा पुत्र पहरा दे रहा है पर में तो अपने रोके जाने पर उसका सिर धर्ड़ से अलग कर उसकी जीवन लीला ही समाप्त कर डाली ! यह सुनकर पार्वती जी बहुत दुखी हुई और विलाप करने लगी ! उन्होंने शिवजी से अपने पुत्र को पुनर जीवन देने को कहा तब पार्वती जी को प्रसन्न करने के लिए भगवान् शिवजी ने नंदी से कहा जो भी पहला जानवर दिखे उसका सिर ले आओ सबसे पहले नंदी जी को हाथी का बच्चा दिखा तो उन्होंने उसका सिर काट कर ले गए और शिवजी को दे दिया ! शिवजी ने हाथी के बच्चे का सिर उस बालक के धर्ड़ से जोड़ दिया ! तब पुत्र गणेश को पुनर जीवित पाकर पार्वती जी बहुत प्रसन्न हुई ! उन्होंने पति और पुत्र को भोजन करवाकर फिर स्वयं भोजन किया ! यह घटना भाद्रपद मास के शुकल चतुर्थी को घटित हुई थी ! इसलिए यही तिथि पुण्य पर्व के रूप में मानी जाती है !

गणेश पूजा विधि :-

गणेश पूजा शुरू करने से पहले हाथों को अच्छे से धोले और अपने हाथों में जल, फूल और चावल लेकर संकल्प करे संकल्प में जिस दिन पूजा कर रहे है ! उस दिन की तिथि उस जगह का नाम और अपना नाम को लेकर अपनी इच्छा को बोले उसके बाद अपने हाथों में लिए गए जल को जमीन पर छोड़े अब अपने बाएं हाथ में पवित्र गंगा जल ले उसे अपने ऊपर और पूजा सामग्री पर जल छिड़क दे ! अब इसके बाद एक साफ़ सी चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर गणेश जी की मूर्ति को उसपर स्थापित करे फिर पूरी श्रद्धा के साथ घी का दीपक, धुप और अगरबत्ती भी जलाएं ! अब एक कलश ले उसमे जल भरकर गणेश की मूर्ति के पास स्थाप्ति करे और धुप, रोली, अक्षत, डीप कुम्कुम और पुष्प से पूजा करे ! अब गणेश जी का ध्यान करे और अपने हाथ में अक्षत पुष्प लेकर इस मंत्र का जाप करे !

ॐ गंगणपतये नमो नम:
श्री सिध्धीविनायक नमो नम:
अष्टविनायक नमो नम:
गणपती बाप्पा मोरया

वक्रतुण्ड गणेश मंत्र :-

वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

 

गणेश शुभ लाभ मंत्र :-

श्रीं गं सौभाग्य गणपतये

वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥

 

गणेश गायत्री मंत्र :-

एकदन्ताय विद्धमहेवक्रतुण्डाय धीमहि,

तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

 

इसके बाद गणेश जी को जल और दूध से स्नान करवाएं और अगर मिटटी की मूर्ति है तो सुपारी को स्नान करवाएं इसके बाद गणेश जी को नए साफ़ सुत्रे वस्त्र अर्पित करे फिर दीप और धुप जलाएं ! गणेश जी को मोदक और लडू का भी भोग लगाएं ! रोज़ दिन में 3 बार गणेश जी की पूजा करे और उन्हें भोग लगाएं ! ऐसा करने से आपकी सारी परेशानियां और दुख दर्द दूर हो जाएंगे  !