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जानिए दीपावली का महत्व मुहूर्त और पूजा विधि :

  दिवाली मुहूर्त :

27 अक्टूबर 2019 (रविवार)

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 06:42 से 08:12

अमावस्या तिथि आरंभ- 12:23 (27 अक्टूबर 2019)

अमावस्या तिथि समाप्त- 09:08 (28 अक्टूबर 2019)

 

दीपावली का महत्व :-

दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 2 शब्दों से हुई है 'दिप' अथार्त 'दिया' व 'आवली' अर्थात 'लाइन' या 'श्रृंखला' के मिश्रण से हुई है । इस दिन घरों और मंदिरों को दियो से और बिजली के उपकरणों से प्रकाशमान किया जाता है ! दीपावली के दिन अयोध्या के राजा भगवान श्री राम अपने चौदह वर्ष के वनवास से लौटे थे ! अयोध्या वासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रसन्न हो उठा था ! भगवान् श्री राम के आने की खुशी में अयोध्या वासियों ने घी के दीपक जलाए ! कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात दीपों की रोशनी से जगमगा उठी थी और देवताओ द्वारा आसमानो से फूलों की वर्षा की गई सभी लोगो ने यथा शक्ति और धन धान्य का दान दिया क्योंकि उनके प्राणों से भी प्रिय श्री राम चौधह वर्ष के बाद अयोध्या वापिस आ रहे थे इसलिए अयोध्या में कोई भी दुखी रोगी , पीड़ित नहीं था ! सभी की नज़रे सिर्फ उसी रहा को देख रहे थे जिस रास्ते से भगवान् श्री राम अयोध्या वापिस आने वाले थे ! चारो तरफ नृत्य, संगीत और मिष्ठान बांटे जा रहे थे ! तभी से यह त्यौहार हर साल बड़ी श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाता है दीपावली यह चरितार्थ करती है ! असत से सत की ओर बढ़ो अज्ञान के तामस से ज्ञान की ज्योति की और बढ़ो ! दीपावली प्रकाश का पर्व है ! भगवान् श्री राम के स्वागत के एक सप्ता पूर्व ही दीवाली की तैयारियां आरंभ हो जाती है ! लोग अपने घर, दुकान और ओफ्फिसो की सफाई का काम आरंभ कर देते है बाजारों में भी गलियों को भी सजाते है ! दीवाली से पहले ही बाजारों में खूब रौनक देखने को मिलती है ! दीपावली के दिन लोग गणेश और लक्षणी जी की पूजा करते है और नए खाते भी चालू करते है ! भारत में दीवाली मनाने की कई दंत कथाएं भी प्रचलित है ! उनमें से कई शाश्त्र द्वारा प्रमाणित है और कई पूर्वजो से चलती आई है ! भगवान् श्री राम का अपनी पत्नी सीता और भाई लक्षमण सहित अयोध्या वापिस आना सबसे अधिक प्रचलित माना जाता है इसके अलावा समुन्द्र मंथन से लक्ष्मी जी के प्रकटी के कारन इसी दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है ! दीपवाली के दिन लोग अपने रिश्तेदारों और अपने आस पास के पड़ोसियों को मिठाइयां एवं उपहार देते है ! एक दूसरे को शुभकामनाए देते है खूब सारी खरीदारी करते है और पूजा के बाद बहुत सारे पटाके यानी अतिशबाज़िया करते है ! दीपावली के त्यौर को सिख, तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं ! जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं तथा सिख समुदाय इसे बन्दी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है !

सिख :-
सिक्खों के लिए भी दीवाली महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन ही अमृतसर में 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था और इसके अलावा 1619 में दीवाली के दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को जेल से रिहा किया गया था !

जैन :-
जैन मतावलंबियों के अनुसार चौबीसवें तीर्थं कर, महावीर स्वामी को इस दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी ! इसी दिन उनके प्रथम शिष्य, गौतम गणधर को केवल ज्ञान प्राप्त हुआ था !

दीपावली पूजा की तैयारी एवं विधि :-

1. भगवान् गणेश जी और लक्ष्मी जी की पूजा आपको शुभ मूहर्त में ही करनी है ! लेकिन शुभ मूहर्त से ठीक पहले आप को अच्छे से तैयार होना है और पुरे परिवार को एकजुट होना है !

2. सबसे पहले हमे एक चौकी लेनी है उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाना है और उस पर गणेश जी और माँ लक्षणी जी की प्रतिमा को स्थापित करना है !

3. अब सबसे पहले हम गणेश भगवान् जी को तिलक करेंगे क्युकी सबसे पहले भगवान गणेश जी की ही पूजा की जाती है इसके बाद हम अक्षत लगाएंगे और इसी तरह हम माँ लक्ष्मी जी को भी तिलक करेंगे !

4. अब इसके बाद हम जो पुष्प हार लाए थे वो इन्हे पहनाएंगे इसके बाद हम दीपक जलाएंगे और इसके बाद हम भगवान् को अर्पित करेंगे !

5. अब हमारे पास जो भी प्रसाद है जैसे खील खिलौने वह हम भगवान् को चड़ाएगे ! इसके बाद हमारे पास जो भी पैसे है वो हम भगवान् के पास रखेंगे और एक चांदी का सिक्का भी हम चढ़ाएंगे और इसके बाद हम माँ को लाल जोड़ा अर्पित करेंगे !

6. अब सबसे पहले हम गणेश जी की कहानी पड़ेगे हम कोई भी शुभ कार्य करते है तो उससे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है ! इसके बाद हम पड़ेगे माँ लक्ष्मी जी कहानी इसके बाद याद रहे हमे सबसे पहले भगवान् गणेश जी की आरती पड़नी है !

7. पूजा के बाद जो भगवान् को खील चढ़ाया था वो बाकि के प्रसाद में मिलाएं और सबको प्रसाद के रूप में बात दे ! इसके बाद थोड़ी सी खिलो को आप घर के कोनो में डाल सकते है ताकि आपके घर की बरकत बनी रहे !

8. इस दिन कुबेर जी की भी पूजा कर सकते है !

9. महालक्ष्मी जी की पूजा में रोली, अक्षत, चंदन, पुष्प, मिष्ठान, पान, सुपारी आदि शामिल कीजिए ! पूजा के बाद सुपारी को अपनी तिजोरी अथवा पर्स में रख लीजिए !