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करवा चौथ की शुरुआत सबसे पहले किसने की ? - Who started Karwa Chauth first

करवा चौथ व्रत (Karwa chauth fast) की शुरुआत से लेकर व्रत खोलने तक की विधि आज हम इस आर्टिकल में बताएंगे. मान्यताओं के अनुसार अगर इस विधि से कोई सुहागन महिला व्रत रखती है तो उसे अखंड सौभाग्य प्रदान होता है 

  • इस दिन सुहागिन स्त्रियां सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लेती हैं।
  • और सास द्वारा दी गई सरगी का सेवन करती हैं। सरगी में मिठाई, फल, सैंवई, पूरी और साज-श्रृंगार का सामान दिया जाता है। 
  • इसके बाद करवा चौथ का निर्जल व्रत शुरू हो जाता है, जो महिलांए निर्जल व्रत ना कर सके वह फल, दूध, दही, जूस, नारियल पानी ले सकती हैं।  
  • व्रत के दिन शाम को लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं, इस पर भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय और गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित कर दें 
  • आगे एक लोटे में जल भरकर उसके ऊपर श्रीफल रखकर कलावा बांध दें व दूसरा मिट्टी का टोंटीदार कुल्लड़ जिसे करवा भी कहते है उसमें जल भरकर व ढक्कन में शक्कर भर दें, उसके ऊपर दक्षिणा रखें, रोली से करवे पर स्वास्तिक बनाएं। 
  • इसके बाद धूप, दीप, अक्षत व पुष्प चढाकर भगवान का पूजन करें पूजा के उपरांत भक्तिपूर्वक हाथ में गेहूं के दाने लेकर चौथमाता की कथा को सुने या पढ़ें।
  • तत्पश्चात् रात्रि में चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रदेव को अर्ध्य देकर बड़ों का आशीर्वाद लें।

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