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पांडव कुल: पांच पांडवों के कितने हुए थे विवाह?

महाभारत ग्रन्थ हिन्दुओं के महान ग्रंथों में सबसे ख़ास है, इसमें वर्णित घटनाएं आज भी मनुष्य को सबक देती हैं, उनका मार्गदर्शन करती हैं। यह ग्रंथ अत्यंत विस्तृत है और ज़्यादातर लोग इसे छोटे छोटे भागों में ही पढ़ पाते हैं, जिससे उनकी जानकारी इस विषय में सिमित रह जाती है। आज हम आपको इस ग्रन्थ का वो भाग बताने जा रहे हैं, जिसकी जानकारी बहुत काम लोगों को होगी। यह जानकारी है पांडवों के विवाह के विषय में, क्योकि अधिकतर लोगों ने केवल उनकी पत्नी द्रौपदी और अर्जुन की पत्नी सुभद्रा के विषय में ही सुना है। तो आइये जानते हैं पांडवों की अन्य पत्नियों और पुत्रों के विषय में-

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द्रौपदी :- द्रौपदी को अर्जुन ने स्वयंवर की प्रतियोगिता में जीता था, किन्तु माता कुंती के भूलवश दिए हुए आदेशानुसार द्रौपदी का विवाह पाँचों पांडवों से हुआ। द्रौपदी विवाह के पश्चात एक वर्ष तक एक ही पांडव के पास रहती थी, और इस एक एक वर्ष के अंतराल में ही द्रौपदी ने पांडवों के पांच पुत्रों को जन्म दिया। जिनमे युधिष्ठिर से सबसे ज्येष्ठ पुत्र प्रतिबिन्ध्य, फिर भीम का पुत्र सुतसोम, उसके बाद अर्जुन पुत्र श्रुतकर्मा, नकुल पुत्र शतानीक और सहदेव से श्रुतसेन उत्पन्न हुए थे।

पांडवों की अन्य पत्नियां-

१.) देविका - देविका युधिष्ठिर की दूसरी पत्नी थी, जिनसे उन्हें धौधेय नामक पुत्र की प्राप्ति हुई थी।

२.) सुभद्रा - सुभद्रा श्री कृष्ण की बहिन थी और उनका विवाह अर्जुन से हुआ था। अर्जुन को सुभद्रा से अभिमन्यु की प्राप्ति हुई थी।

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३.) उलूपी - उलूपी अर्जुन की ही तीसरी पत्नी थी, जो एक नाग कन्या थी और उलूपी से उन्होंने वनवास के समय विवाह किया था। उलूपी से अर्जुन को इरावन नामक पुत्र की प्राप्ति हुई थी।

४.) चित्रांगदा - चित्रांगदा अर्जुन की चौथी पत्नी है, जो की मणिपुर के राजा की बेटी थी। और चित्रांगदा से अर्जुन को वभ्रुवाहन नामक पुत्र की प्राप्ति हुई थी।

५.) हिडिम्बा - हिडिम्बा एक राक्षसी थी, और उसे भीम से प्रेम हो गया था। हिडिम्बा से भीम को घटोत्कच नामक राक्षस पुत्र की प्राप्ति हुई थी।

६.) बलंधरा - बलंधरा भीम की तीसरी पत्नी थी, और उस से भीम को सर्वांग नामक पुत्र की प्राप्ति हुई थी।

७.) करेणुमती - करेणुमती नकुल की दूसरी पत्नी थी, और उस से नकुल को निरमित्र नामक पुत्र की प्राप्ति हुई थी।

८.) विजय - द्रौपदी के अलावा सहदेव की दूसरी पत्नी थी विजय, जिससे सहदेव को सुहोत्र नामक पुत्र की प्राप्ति हुई थी।

 

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