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क्यों किया जाता है शनिदेव को तेल अर्पित (Why Do We Offer Oil To Shanidev )

कर्मों का फल देने वाले, न्याय के देवता शनिदेव को भक्त हर शनिवार को तेल, लोहे की वास्तु तथा सिक्के आदि चढ़ाते हैं। किन्तु शनिदेव को तेल चढाने के अत्यंत महत्व है, वर्षों से भक्तजन शनिदेव की कृपा पाने के लिए उन्हें तेल अर्पित करते हैं। भक्तों का मानना है की तेल अर्पित करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं तथा शनि की साढ़ेसाती और ढय्या से उनका बचाव भी होता है। आखिर ये प्रथा शुरू कैसे हुई और क्यों शनिदेव तेल चढाने से होते हैं प्रसन्न? इससे सम्बंधित कुछ पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमे से एक कथा राम भक्त हनुमान जी से सम्बन्धित है –​

शनिदेव का घमंड :-

प्रचलित कथा के अनुसार एक समय जब हनुमान जी की भक्ति, शक्ति, बुद्धि तथा पराक्रम की कीर्ति तीनों लोकों में हो रही थी, उस समय शनिदेव को अपने न्याय, बल और पराक्रम पर अत्यधिक घमंड हो गया था। किन्तु जब उन्होंने हनुमान जी की प्रशंसा सुनी तब वे क्रोध से भर गए और निकल गए सबको सिद्ध करने कि वे हनुमान जी से अधिक बलशाली हैं। जब वे हनुमान जी के पास पहुंचे तब उन्होंने देखा की श्री राम भक्त हनुमान भक्ति में लीन होकर राम नाम का जाप कर रहे हैं।​

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हनुमान जी और शनिदेव का युद्ध :-

हनुमान जी के पास पहुंच कर उन्होंने उन्हें युद्ध की चुनौती दी, किन्तु हनुमान जी पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वे उन्हें प्रणाम कर समझने लगे की इस युद्ध से क्या सिद्ध होगा, अतः आप लौट जाइये और मुझे प्रभु भक्ति में लीन रहने दीजिये। किन्तु शनिदेव पर तो अपना शौर्य दिखाने का उतावलापन छाया हुआ था, इसलिए उन्होंने युद्ध प्रारम्भ कर दिया। इसके बाद उन दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ जिसमे हनुमान जी ने शनिदेव को बुरी तरह घायल कर दिया। हनुमान जी के शक्तिशाली प्रहारों से शनिदेव के सारे शरीर में भयानक पीड़ा होने लगी। उन पर दया करके हनुमान जी ने उन्हें पीड़ा कम करने के लिए तेल दिया, जिसे लगाते ही शनिदेव के शरीर का दर्द चला गया।

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हनुमान जी के ऐसे सौम्य स्वाभाव से प्रसन्न होकर शनिदेव ने कहा जो भी मनुष्य मुझे सच्चे मन से तेल चढ़ाएगा, उसे आपका आशीर्वाद समझ कर मैं उस मनुष्य की सारी पीड़ा हर लूंगा।  

रावण ने बनाया सभी ग्रहों को बंदी :-

एक अन्य कथा के अनुसार, रावण ने युद्ध के समय अपने पुत्र मेघनाथ की मृत्यु टालने के लिए सभी ग्रहों को बंदी बना लिया था। सभी ग्रहदेव रावण के भय से मौन रहे, किन्तु शनिदेव ने रावण को युद्ध के लिए ललकारा और कहा की उसके पुत्र की मृत्यु अटल है।  कोई भी उसे बदल नहीं सकेगा, यह सब सुनकर रावण क्रोधित हो गया और उसने शनिदेव को बेड़ियों से उल्टा लटका दिया। सूचना प्राप्त होने पर हनुमान जी लंका पहुंचे और मौका प्राप्त होते ही उन्होंने सभी ग्रहों को मुक्त कर दिया। किन्तु शनिदेव के शरीर में अत्यधिक पीड़ा हो गयी और वे भागने में असमर्थ थे। शनि के दर्द को शांत करने के लिए हनुमान जी ने उनके शरीर पर तेल से मालिश की, जिससे की शनिदेव का सारा दर्द गायब हो गया। तब शनिदेव ने कहा था जो भी व्यक्ति श्रद्धभाव से मुझे तेल अर्पित करेगा उस व्यक्ति पर कभी कोई मुसीबत नहीं आएगी।​

और तभी से शनिदेव पर तेल चढाने की परंपरा आरम्भ हो गयी।

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कैसे करें शनि को तेल अर्पित :–

शनिवार के दिन शनिदेव की प्रतिमा में तेल चढाने से पहले उसमे अपने चेहरे का प्रतिबिम्ब देखें। तेल या तो प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व चढ़ाएं  या फिर साँझ में सूर्य ढलने के बाद। ऐसा करने से शनि के बुरे प्रभाव से हमारी रक्षा होती है। सुख समृद्धि में बढ़ोतरी होती है तथा कार्यों में बाधा या रूकावट नहीं आती।

 

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