Article

जानिए फुलेरा दूज कैसे मनाया जाता है और उसका महत्व !

फुलेरा दूज रंगों का त्यौहार है यह उत्तर भारत का त्यौहार है, फाल्गुन के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को फुलेरादूज मनाई जाती है यह हिन्दू कैलेंडर के अंतिम माह में आता है, फुलेरादूज इस वर्ष 25 फरवरी 2020, मंगलवार को मनाया जायेगा, मथुरा, वृंदावन के कृष्ण मंदिरों में यह त्यौहार मुख्य रूप से मनाया जाता है।

यह भी पढ़ें:- जया एकादशी से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ! जानें कैसे ?​

इस दिन कई प्रकार के मिष्ठान बनाये जाते हैं फिर इन्हें श्रद्धा पूर्वक श्री कृष्ण को अर्पित किया जाता है, भगवान कृष्ण के मंदिरों में उनकी लीलाओं का गान होता है, श्री कृष्ण के भजनों पर नृत्य प्रसंग के द्वारा उनकी भक्ति की जाती है, इस दिन को किसी भी शुभ कार्य के लिये शुभ दिन माना जाता है।
बसंत पंचमी और होली के बीच आने वाले फाल्गुन में फुलेरा दूज का त्यौहार मनाया जाता है, फुलेरा दूज के दिन का हर क्षण शुभ माना जाता है और किसी भी शुभ कार्य को करने के लिये किसी मुहूर्त को देखने की कोई आवश्यकता नहीं होती, इस दिन को शुभ मानकर विवाह भी किये जाते हैं, इस दिन विवाह की रस्में निभाने के लिये किसी भी समय को शुभ माना जाता है।

भक्ति दर्शन एंड्रॉयड मोबाइल ऐप डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें


फुलेरा दूज का महत्वः-


1. मुख्यतयः फुलेरा दूज बसंत ऋतु से सम्बंधित है।

2. पारिवारिक संबंधों, वैवाहिक जीवन व प्रेम संबंधों में सुधार लाने के लिये इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है।

3. फुलेरा दूज को वर्ष का अबूझ मुहूर्त भी मानते हैं, इस दिन किसी भी शुभ कार्य को किया जा सकता है।

4. इस दिन मुख्यतयः भगवान राधा कृष्ण की पूजा आराधना की जाती है।

5. फुलेरा दूज के दिन जो व्यक्ति राधा कृष्ण की पूजा सच्चे मन से करता है उसके जीवन में कभी भी प्रेम का अभाव नहीं रहता।

6. वैवाहिक जीवन में आई समस्याओं का समाधान भी इस दिन की पूजा करने से मिल जाता है।

यह भी पढ़ें:- जानें कैसे मिलेगा संतान प्राप्ति का आशीर्वाद ?

 

फुलेरा दूज कैसे मनाया जाता हैः-


1. इस दिन घरों में भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है व अपने इष्ट देवता को गुलाल चढ़ाया जाता है।

2. इस दिन मीठे पकवान व मिष्ठान भी बनाते हैं, श्री कृष्ण व ईष्ट देवता को इसी का भोग लगाते हैं।

3. इन कार्यों के बाद 'राधा कृपा कटाक्ष' या 'मधुराष्टक' का पाठ करते हैं, अगर किसी के लिये इस पाठ को करना मुश्किल हो रहा हो तो केवल राधेकृष्ण का जाप भी कर सकते हैं।

4. श्री कृष्ण भगवान के मंदिरों में कृष्ण जी की लीलाओं की प्रस्तुति की जाती है व भजन गाये जाते हैं।

5. जो व्यक्ति अपना कोई नया कार्य आरम्भ करने जा रहा है तो कार्य की शुरूआत के लिये यह दिन ही सबसे शुभ माना जायेगा।

भक्ति दर्शन के नए अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर फॉलो करें

लोग होली के रंगों की शुरूआत इसी दिन से करते हैं, यह भी मान्यता है कि इसी दिन से भगवान कृष्ण भी होली की तैयारी शुरू कर देते थे और होली आने पर समस्त गोकुल में अपने रंगों के हुड़दंग से धूम मचाये रखते थे, फुलेरादूज को फूलों का त्यौहार भी माना जाता है, फाल्गुन मास में कई प्रकार के खूबसूरत रंगों के फूलों का आगमन होता है, ऐसे ही रंग बिरंगे फूलों से श्री कृष्ण के मंदिरों को सजाते हैं और इन्हीं फूलों से कई लोग होली भी खेलते हैं, कुछ लोग उपहार के रूप में एक दूसरे को गुलदस्ते भेंट करते हैं, फुलेरादूज का त्यौहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष के अंतिम माह में मनाया जाता है और इस रंगों भरे त्यौहार के साथ ही वर्ष को अलविदा कहता है।

संबंधित लेख :​​​​