कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी या आठे कहते है। अहोई शब्द का अर्थ होता है अनहोनी को होनी बनाना। यह व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद किया जाता है। यह व्रत को केवल संतान वाली महिलाएं ही रख सकती है, क्योंकि यह व्रत बच्चों के सुख के लिए रखा जाता है। इस व्रत में अहोई देवी की तस्वीर के साथ सेई और सेई के बच्चों के चित्र भी बनाकर पूजे जाते हैं। इस व्रत (Ahoi Ashtami Vrat) के अंत में करवा चौथ व्रत की तरह कथा सुनना अनिवार्य होता है।