चतुर्थी नवदुर्गा: माता कूष्मांडा
माता कूष्मांडा का उपासना मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
माता का स्वरूप
माता की आठ भुजाए है| अतः ये अष्टभुजा देंवी के नाम से भी विख्यात है| इनके साथ हाथो मे क्रमश: कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है | आठ वे हाथ मे सभी सिद्धियो ओर निधियो को देने वाली जपमाला है | इनका वाहन सिंह है |
आराधना महत्व
माता कूष्मांडा की उपासना से भक्तो के समस्त रोग - शोक मिट जाते है | देवी आयु, यश, बल ओर आरोग्य देती है | शरणागत को परमपद की प्राप्ति होती है | इनकी कृपा से व्यापार व्यवसाय मे वृद्धि व कार्य मे उन्नति, आय के नये मार्ग प्राप्त होते है |