पंचम नवदुर्गा: माता स्कंदमाता
माता स्कंदमाता का उपासना मंत्र
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
माता का स्वरूप
स्कन्दमाता की दाहिनी भुजा मे कमलपुष्प, बाई भुजा वार मुद्रा मे है | इनकी तीन आँखे ओर चार भुजाए है | वर्णपूर्णत: शुभ कमलासन पर विराजित ओर सिंह इनका वाहन है | इसी कारण इन्हे पद्मासनदेवी भी कहा जाता है | पुत्र स्कन्दइन की गोद मे बैठे है |
आराधना महत्व
स्कन्दमाता की उपासना से भक्त की समस्त मनोकामनाएपूर्ण, इस मृत्यु लोक मे ही उसे परम शांति ओर सुख का अनुभव होने लगता है, मोक्ष मिलता है | सूर्यमंडल की देवी होने के कारण इन का उपासक आलोकिक तेज एवं कांति से संपन्न हो जाता है | साधक को अभिस्ट वस्तु की प्राप्ति होती है ओर उसे पुल ना रहित महान ऐश्वर्य मिलता है |