शरण तेरी आऊँ माँ, हाँ बलि बलि जाऊँ माँ, भजन तेरे गाउँ माँ, मगन हो जाऊँ माँ, शरण तेरी आऊ माँ, हाँ बलि बलि जाऊँ माँ।।
ऊँचे भवन पर बैठी, अम्बे के भवानी माँ, जिनके दरश की है ये, दुनिया दीवानी माँ, दरश तेरे पाऊँ माँ, हाँ बलि बलि जाऊँ माँ, भजन तेरे गाउँ माँ, मगन हो जाऊँ माँ, शरण तेरी आऊ माँ, हाँ बलि बलि जाऊँ माँ।।
भीड़ लगी रहती है, माँ तुम्हारे द्वारे, आते जाते गूंजते हैं, तेरे माँ जयकारे, जयकारा लगाऊं माँ, हाँ बलि बलि जाऊँ माँ, भजन तेरे गाउँ माँ, मगन हो जाऊँ माँ, शरण तेरी आऊ माँ, हाँ बलि बलि जाऊँ माँ।।
लाल पट्टी बांधे सर पे, आ रही है टोलियां, ला रहे मुरादों वाली, भर भर के झोलियाँ, ये अर्जी सुनाऊँ माँ, हाँ बलि बलि जाऊँ माँ, भजन तेरे गाउँ माँ, मगन हो जाऊँ माँ, शरण तेरी आऊ माँ, हाँ बलि बलि जाऊँ माँ।।
‘बेनाम’ जग ये रूठे, माँ कभी ना रूठे, आदि शक्ति जग जननी का, दर कभी ना छूटे, यही रम जाऊँ माँ, हाँ बलि बलि जाऊँ माँ, भजन तेरे गाउँ माँ, मगन हो जाऊँ माँ, शरण तेरी आऊ माँ, हाँ बलि बलि जाऊँ माँ।।
*तर्ज – मुकुट सिरमौर का।