हिन्दू धर्म के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना "मकर-संक्रांति" (Makar Sankranti) कहलाता है। मकर-संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। इस दिन व्रत और दान (विशेषकर तिल के दान का) का काफी महत्व होता है। हिंदुओं के लिए सूर्य ज्ञान आध्यात्मिक और प्रकाश का परिचायक है। मकर संक्रांति यह दर्शाती है कि हमें भ्रम के अंधेरे से दूर होना चाहिए जिसमें हम रहते हैं और अपने भीतर के प्रकाश की तरफ चलना चाहिए।
मकर संक्रांति 2018 वर्ष 2018 में मकर संक्राति का त्यौहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस पर्व को देश में कई नामों से जाना जाता है जैसे बिहार में खिचड़ी, तमिलनाडु में पोंगल, असम में बिहू आदि। मकर संक्रांति को भारत में एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
मकर संक्रांति भारतीय संस्कृति में एक शुभ चरण की शुरुआत दर्शाता है। यह एक अशुभ चरण का अंत है और इस दिन से पवित्र हिंदू अनुष्ठानों को पवित्र किया जा सकता है। यह सूर्य भगवान का त्योहार है इस दिन पर सूर्य दक्षिण की यात्रा समाप्त करता है और उत्तर दिशा की और पलायन करता है। रात को पाप और झूठे का प्रतीक माना जाता है जबकि दिन को सच्चाई सद्गुण और धर्म का प्रतीक माना जाता है। तो जब भगवान का दिन है तो मकर संक्रांति पर सभी अनुष्ठानो को किया जाता है क्यूंकि मकर सक्रांति के बाद दिन लम्बे हो जाते है और रातें छोटी हो जाती हैं।
मकर संक्राति की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुरूप इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र भगवान शनि के पास जाते है, उस समय भगवान शनिदेव मकर राशि का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं. पिता र पुत्र के बीच स्वस्थ सम्बन्धों को मनाने के लिए, मतभेदों के बावजूद, मकर संक्राति को महत्व दिया गया. माना जाता है कि इस विशेष दिन पर जब कोई पिता अपने पुत्र से मिलने जाते हैं तो उनका मन-मुटाव दूर हो जाता है और सकारात्मकता खुशी और सम्बृद्धि के साथ सम्मिलित हो जाती है।
इसके अलावा इस विशेष पर्व की एक कथा भीष्म पितामह से जुड़ी हुई और है, भीष्म को यह वरदान मिला था कि उन्हे अपनी इच्छा से मृत्यु प्राप्त होगी. जब वे बाणों की सज्जा पर लेटे हुए थे तब वे उत्तरायण के दिन की प्रतीक्षा कर रहे थे और उन्होंने इस दिन अपनी आंखें बंद की और इस तरह उन्हे इस विशेष दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई।
मकर संक्रांति व्रत विधि और पूजा विधि एवं महत्व भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण या दक्षिणायन के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए। इस व्रत में संक्रांति के पहले दिन एक बार भोजन करना चाहिए। संक्रांति के दिन तेल तथा तिल मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव की स्तुति करनी चाहिए। मान्यतानुसार इस दिन तीर्थों में या गंगा स्नान और दान करने से पुण्य प्राप्ति होती है। ऐसा करने से जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही संक्रांति के पुण्य अवसर पर अपने पितरों का ध्यान और उन्हें तर्पण अवश्य प्रदान करना चाहिए।
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त संक्रांति के दिन पुण्य काल में दान देना, स्नान करना या श्राद्ध कार्य करना शुभ माना जाता है। इस साल यह शुभ मुहूर्त 14 जनवरी, 2018 को दोपहर 2 बजे से लेकर शाम 05 बजकर 41 मिनट तक का है। (शुभ मुहूर्त दिल्ली समयानुसार है।)
मकर संक्रांति पूजा मंत्र
मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव की निम्न मंत्रों से पूजा करनी चाहिए: ऊं सूर्याय नम: ऊं आदित्याय नम: ऊं सप्तार्चिषे नम: