Menu
Home
Guru
God
Video
Aarti
Bhajan
Mantra
Katha
Singer
Article
Yatra
Wallpaper
Desktop Wallpapers
Mobile Wallpapers
Get Socialize
Home
Guru
God
Video
Aarti
Bhajan
Mantra
Katha
Singer
Article
Wallpaper
Desktop Wallpapers
Mobile Wallpapers
आज का पर्व
श्रीरामचरितमानस अयोध्याकांड भरतजी चित्रकूट के मार्ग में
भरतजी चित्रकूट के मार्ग में
* एहि बिधि भरत चले मग जाहीं। दसा देखि मुनि सिद्ध सिहाहीं॥
जबहि रामु कहि लेहिं उसासा। उमगत प्रेमु मनहुँ चहु पासा॥3॥
भावार्थ:-
इस प्रकार भरतजी मार्ग में चले जा रहे हैं। उनकी (प्रेममयी) दशा देखकर मुनि और सिद्ध लोग भी सिहाते हैं। भरतजी जब भी 'राम' कहकर लंबी साँस लेते हैं, तभी मानो चारों ओर प्रेम उमड़ पड़ता है॥3॥
* द्रवहिं बचन सुनि कुलिस पषाना। पुरजन पेमु न जाइ बखाना॥
बीच बास करि जमुनहिं आए। निरखि नीरु लोचन जल छाए॥4॥
भावार्थ:-
उनके (प्रेम और दीनता से पूर्ण) वचनों को सुनकर वज्र और पत्थर भी पिघल जाते हैं। अयोध्यावासियों का प्रेम कहते नहीं बनता। बीच में निवास (मुकाम) करके भरतजी यमुनाजी के तट पर आए। यमुनाजी का जल देखकर उनके नेत्रों में जल भर आया॥4॥
दोहा :
* रघुबर बरन बिलोकि बर बारि समेत समाज।
होत मगन बारिधि बिरह चढ़े बिबेक जहाज॥220॥
भावार्थ:-
श्री रघुनाथजी के (श्याम) रंग का सुंदर जल देखकर सारे समाज सहित भरतजी (प्रेम विह्वल होकर) श्री रामजी के विरह रूपी समुद्र में डूबते-डूबते विवेक रूपी जहाज पर चढ़ गए (अर्थात् यमुनाजी का श्यामवर्ण जल देखकर सब लोग श्यामवर्ण भगवान के प्रेम में विह्वल हो गए और उन्हें न पाकर विरह व्यथा से पीड़ित हो गए, तब भरतजी को यह ध्यान आया कि जल्दी चलकर उनके साक्षात् दर्शन करेंगे, इस विवेक से वे फिर उत्साहित हो गए)॥220॥
चौपाई :
* जमुन तीर तेहि दिन करि बासू। भयउ समय सम सबहि सुपासू॥
रातिहिं घाट घाट की तरनी। आईं अगनित जाहिं न बरनी॥1॥
भावार्थ:-
उस दिन यमुनाजी के किनारे निवास किया। समयानुसार सबके लिए (खान-पान आदि की) सुंदर व्यवस्था हुई (निषादराज का संकेत पाकर) रात ही रात में घाट-घाट की अगणित नावें वहाँ आ गईं, जिनका वर्णन नहीं किया जा सकता॥1॥
* प्रात पार भए एकहि खेवाँ। तोषे रामसखा की सेवाँ॥
चले नहाइ नदिहि सिर नाई। साथ निषादनाथ दोउ भाई॥2॥
भावार्थ:-
सबेरे एक ही खेवे में सब लोग पार हो गए और श्री रामचंद्रजी के सखा निषादराज की इस सेवा से संतुष्ट हुए। फिर स्नान करके और नदी को सिर नवाकर निषादराज के साथ दोनों भाई चले॥2॥
* आगें मुनिबर बाहन आछें। राजसमाज जाइ सबु पाछें॥
तेहि पाछें दोउ बंधु पयादें। भूषन बसन बेष सुठि सादें॥3॥
भावार्थ:-
आगे अच्छी-अच्छी सवारियों पर श्रेष्ठ मुनि हैं, उनके पीछे सारा राजसमाज जा रहा है। उसके पीछे दोनों भाई बहुत सादे भूषण-वस्त्र और वेष से पैदल चल रहे हैं॥3॥
* सेवक सुहृद सचिवसुत साथा। सुमिरत लखनु सीय रघुनाथा॥
जहँ जहँ राम बास बिश्रामा। तहँ तहँ करहिं सप्रेम प्रनामा॥4॥
भावार्थ:-
सेवक, मित्र और मंत्री के पुत्र उनके साथ हैं। लक्ष्मण, सीताजी और श्री रघुनाथजी का स्मरण करते जा रहे हैं। जहाँ-जहाँ श्री रामजी ने निवास और विश्राम किया था, वहाँ-वहाँ वे प्रेमसहित प्रणाम करते हैं॥4॥
दोहा :
* मगबासी नर नारि सुनि धाम काम तजि धाइ।
देखि सरूप सनेह सब मुदित जनम फलु पाइ॥221॥
भावार्थ:-
मार्ग में रहने वाले स्त्री-पुरुष यह सुनकर घर और काम-काज छोड़कर दौड़ पड़ते हैं और उनके रूप (सौंदर्य) और प्रेम को देखकर वे सब जन्म लेने का फल पाकर आनंदित होते हैं॥221॥
चौपाई :
* कहहिं सप्रेम एक एक पाहीं। रामु लखनु सखि होहिं कि नाहीं॥
बय बपु बरन रूपु सोइ आली। सीलु सनेहु सरिस सम चाली॥1॥
भावार्थ:-
गाँवों की स्त्रियाँ एक-दूसरे से प्रेमपूर्वक कहती हैं- सखी! ये राम-लक्ष्मण हैं कि नहीं? हे सखी! इनकी अवस्था, शरीर और रंग-रूप तो वही है। शील, स्नेह उन्हीं के सदृश है और चाल भी उन्हीं के समान है॥1॥
* बेषु न सो सखि सीय न संगा। आगें अनी चली चतुरंगा॥
नहिं प्रसन्न मुख मानस खेदा। सखि संदेहु होइ एहिं भेदा॥2॥
भावार्थ:-
परन्तु सखी! इनका न तो वह वेष (वल्कल वस्त्रधारी मुनिवेष) है, न सीताजी ही संग हैं और इनके आगे चतुरंगिणी सेना चली जा रही है। फिर इनके मुख प्रसन्न नहीं हैं, इनके मन में खेद है। हे सखी! इसी भेद के कारण संदेह होता है॥2॥
* तासु तरक तियगन मन मानी। कहहिं सकल तेहि सम न सयानी॥
तेहि सराहि बानी फुरि पूजी। बोली मधुर बचन तिय दूजी॥3॥
भावार्थ:-
उसका तर्क (युक्ति) अन्य स्त्रियों के मन भाया। सब कहती हैं कि इसके समान सयानी (चतुर) कोई नहीं है। उसकी सराहना करके और 'तेरी वाणी सत्य है' इस प्रकार उसका सम्मान करके दूसरी स्त्री मीठे वचन बोली॥3॥
* कहि सप्रेम बस कथाप्रसंगू। जेहि बिधि राम राज रस भंगू॥
भरतहि बहुरि सराहन लागी। सील सनेह सुभाय सुभागी॥4॥
भावार्थ:-
श्री रामजी के राजतिलक का आनंद जिस प्रकार से भंग हुआ था, वह सब कथाप्रसंग प्रेमपूर्वक कहकर फिर वह भाग्यवती स्त्री श्री भरतजी के शील, स्नेह और स्वभाव की सराहना करने लगी॥4॥
दोहा :
* चलत पयादें खात फल पिता दीन्ह तजि राजु।
जात मनावन रघुबरहि भरत सरिस को आजु॥222॥
भावार्थ:-
(वह बोली-) देखो, ये भरतजी पिता के दिए हुए राज्य को त्यागकर पैदल चलते और फलाहार करते हुए श्री रामजी को मनाने के लिए जा रहे हैं। इनके समान आज कौन है?॥222॥।
चौपाई :
* भायप भगति भरत आचरनू। कहत सुनत दुख दूषन हरनू॥
जो किछु कहब थोर सखि सोई। राम बंधु अस काहे न होई॥1॥
भावार्थ:-
भरतजी का भाईपना, भक्ति और इनके आचरण कहने और सुनने से दुःख और दोषों के हरने वाले हैं। हे सखी! उनके संबंध में जो कुछ भी कहा जाए, वह थोड़ा है। श्री रामचंद्रजी के भाई ऐसे क्यों न हों॥1॥
* हम सब सानुज भरतहि देखें। भइन्ह धन्य जुबती जन लेखें॥
सुनि गुन देखि दसा पछिताहीं। कैकइ जननि जोगु सुतु नाहीं॥2॥
भावार्थ:-
छोटे भाई शत्रुघ्न सहित भरतजी को देखकर हम सब भी आज धन्य (बड़भागिनी) स्त्रियों की गिनती में आ गईं। इस प्रकार भरतजी के गुण सुनकर और उनकी दशा देखकर स्त्रियाँ पछताती हैं और कहती हैं- यह पुत्र कैकयी जैसी माता के योग्य नहीं है॥2॥
* कोउ कह दूषनु रानिहि नाहिन। बिधि सबु कीन्ह हमहि जो दाहिन॥
कहँ हम लोक बेद बिधि हीनी। लघु तिय कुल करतूति मलीनी॥3॥
भावार्थ:-
कोई कहती है- इसमें रानी का भी दोष नहीं है। यह सब विधाता ने ही किया है, जो हमारे अनुकूल है। कहाँ तो हम लोक और वेद दोनों की विधि (मर्यादा) से हीन, कुल और करतूत दोनों से मलिन तुच्छ स्त्रियाँ,॥3॥
* बसहिं कुदेस कुगाँव कुबामा। कहँ यह दरसु पुन्य परिनामा॥
अस अनंदु अचिरिजु प्रति ग्रामा। जनु मरुभूमि कलपतरु जामा॥4॥
भावार्थ:-
जो बुरे देश (जंगली प्रान्त) और बुरे गाँव में बसती हैं और (स्त्रियों में भी) नीच स्त्रियाँ हैं! और कहाँ यह महान् पुण्यों का परिणामस्वरूप इनका दर्शन! ऐसा ही आनंद और आश्चर्य गाँव-गाँव में हो रहा है। मानो मरुभूमि में कल्पवृक्ष उग गया हो॥4॥
दोहा :
* भरत दरसु देखत खुलेउ मग लोगन्ह कर भागु।
जनु सिंघलबासिन्ह भयउ बिधि बस सुलभ प्रयागु॥223॥
भावार्थ:-
भरतजी का स्वरूप देखते ही रास्ते में रहने वाले लोगों के भाग्य खुल गए! मानो दैवयोग से सिंहलद्वीप के बसने वालों को तीर्थराज प्रयाग सुलभ हो गया हो!॥223॥
चौपाई :
* निज गुन सहित राम गुन गाथा। सुनत जाहिं सुमिरत रघुनाथा॥
तीरथ मुनि आश्रम सुरधामा। निरखि निमज्जहिं करहिं प्रनामा॥1॥
भावार्थ:-
(इस प्रकार) अपने गुणों सहित श्री रामचंद्रजी के गुणों की कथा सुनते और श्री रघुनाथजी को स्मरण करते हुए भरतजी चले जा रहे हैं। वे तीर्थ देखकर स्नान और मुनियों के आश्रम तथा देवताओं के मंदिर देखकर प्रणाम करते हैं॥1॥
* मनहीं मन मागहिं बरु एहू। सीय राम पद पदुम सनेहू॥
मिलहिं किरात कोल बनबासी। बैखानस बटु जती उदासी॥2॥
भावार्थ:-
और मन ही मन यह वरदान माँगते हैं कि श्री सीता-रामजी के चरण कमलों में प्रेम हो। मार्ग में भील, कोल आदि वनवासी तथा वानप्रस्थ, ब्रह्मचारी, संन्यासी और विरक्त मिलते हैं॥2॥
* करि प्रनामु पूँछहिं जेहि तेही। केहि बन लखनु रामु बैदेही॥
ते प्रभु समाचार सब कहहीं। भरतहि देखि जनम फलु लहहीं॥3॥
भावार्थ:-
उनमें से जिस-तिस से प्रणाम करके पूछते हैं कि लक्ष्मणजी, श्री रामजी और जानकीजी किस वन में हैं? वे प्रभु के सब समाचार कहते हैं और भरतजी को देखकर जन्म का फल पाते हैं॥3॥
* जे जन कहहिं कुसल हम देखे। ते प्रिय राम लखन सम लेखे॥
एहि बिधि बूझत सबहि सुबानी। सुनत राम बनबास कहानी॥4॥
भावार्थ:-
जो लोग कहते हैं कि हमने उनको कुशलपूर्वक देखा है, उनको ये श्री राम-लक्ष्मण के समान ही प्यारे मानते हैं। इस प्रकार सबसे सुंदर वाणी से पूछते और श्री रामजी के वनवास की कहानी सुनते जाते हैं॥4॥
दोहा :
* तेहि बासर बसि प्रातहीं चले सुमिरि रघुनाथ।
राम दरस की लालसा भरत सरिस सब साथ॥224॥
भावार्थ:-
उस दिन वहीं ठहरकर दूसरे दिन प्रातःकाल ही श्री रघुनाथजी का स्मरण करके चले। साथ के सब लोगों को भी भरतजी के समान ही श्री रामजी के दर्शन की लालसा (लगी हुई) है॥224॥
चौपाई :
* मंगल सगुन होहिं सब काहू। फरकहिं सुखद बिलोचन बाहू॥
भरतहि सहित समाज उछाहू। मिलिहहिं रामु मिटिहि दुख दाहू॥1॥
भावार्थ:-
सबको मंगलसूचक शकुन हो रहे हैं। सुख देने वाले (पुरुषों के दाहिने और स्त्रियों के बाएँ) नेत्र और भुजाएँ फड़क रही हैं। समाज सहित भरतजी को उत्साह हो रहा है कि श्री रामचंद्रजी मिलेंगे और दुःख का दाह मिट जाएगा॥1॥
* करत मनोरथ जस जियँ जाके। जाहिं सनेह सुराँ सब छाके।
सिथिल अंग पग मग डगि डोलहिं। बिहबल बचन प्रेम बस बोलहिं॥2॥
भावार्थ:-
जिसके जी में जैसा है, वह वैसा ही मनोरथ करता है। सब स्नेही रूपी मदिरा से छके (प्रेम में मतवाले हुए) चले जा रहे हैं। अंग शिथिल हैं, रास्ते में पैर डगमगा रहे हैं और प्रेमवश विह्वल वचन बोल रहे हैं॥2॥
* रामसखाँ तेहि समय देखावा। सैल सिरोमनि सहज सुहावा॥
जासु समीप सरित पय तीरा। सीय समेत बसहिं दोउ बीरा॥3॥
भावार्थ:-
रामसखा निषादराज ने उसी समय स्वाभाविक ही सुहावना पर्वतशिरोमणि कामदगिरि दिखलाया, जिसके निकट ही पयस्विनी नदी के तट पर सीताजी समेत दोनों भाई निवास करते हैं॥3॥
* देखि करहिं सब दंड प्रनामा। कहि जय जानकि जीवन रामा॥
प्रेम मगन अस राज समाजू। जनु फिरि अवध चले रघुराजू॥4॥
भावार्थ:-
सब लोग उस पर्वत को देखकर 'जानकी जीवन श्री रामचंद्रजी की जय हो।' ऐसा कहकर दण्डवत प्रणाम करते हैं। राजसमाज प्रेम में ऐसा मग्न है मानो श्री रघुनाथजी अयोध्या को लौट चले हों॥4॥
दोहा :
* भरत प्रेमु तेहि समय जस तस कहि सकइ न सेषु।
कबिहि अगम जिमि ब्रह्मसुखु अह मम मलिन जनेषु॥225॥
भावार्थ:-
भरतजी का उस समय जैसा प्रेम था, वैसा शेषजी भी नहीं कह सकते। कवि के लिए तो वह वैसा ही अगम है, जैसा अहंता और ममता से मलिन मनुष्यों के लिए ब्रह्मानंद!॥225॥
चौपाई :
* सकल सनेह सिथिल रघुबर कें। गए कोस दुइ दिनकर ढरकें॥
जलु थलु देखि बसे निसि बीतें। कीन्ह गवन रघुनाथ पिरीतें॥1॥
भावार्थ:-
सब लोग श्री रामचंद्रजी के प्रेम के मारे शिथिल होने के कारण सूर्यास्त होने तक (दिनभर में) दो ही कोस चल पाए और जल-स्थल का सुपास देखकर रात को वहीं (बिना खाए-पीए ही) रह गए। रात बीतने पर श्री रघुनाथजी के प्रेमी भरतजी ने आगे गमन किया॥1॥
Related Text
View Wallpaper [ श्री हनुमान चालीसा]
श्री हनुमान चालीसा...
View Wallpaper [ श्री शिव चालीसा]
श्री शिव चालीसा...
View Wallpaper [ श्री सरस्वती चालीसा]
श्री सरस्वती चालीसा...
View Wallpaper [ श्री दुर्गा चालीसा ]
श्री दुर्गा चालीसा ...
View Wallpaper [ विष्णु जी की चालीसा]
विष्णु जी की चालीसा...
View Wallpaper [ पार्वती जी की चालीसा]
पार्वती जी की चालीसा...
View Wallpaper [ सूर्य चालीसा ]
सूर्य चालीसा ...
View Wallpaper [ श्री कृष्ण चालीसा]
श्री कृष्ण चालीसा...
View Wallpaper [ श्री लक्ष्मी चालीसा]
श्री लक्ष्मी चालीसा...
View Wallpaper [ श्री गणेश चालीसा]
श्री गणेश चालीसा...
View Wallpaper [ श्री साँई चालीसा ]
श्री साँई चालीसा ...
View Wallpaper [ श्री राधा चालीसा]
श्री राधा चालीसा...
View Wallpaper [ संतोषी माता की चालीसा]
संतोषी माता की चालीसा...
View Wallpaper [ श्री राम चालीसा]
श्री राम चालीसा...
View Wallpaper [ चामुण्डा देवी की चालीसा ]
चामुण्डा देवी की चालीसा ...
View Wallpaper [ श्री शनि चालीसा ]
श्री शनि चालीसा ...
View Wallpaper [ शिव मंत्र]
शिव मंत्र...
View Wallpaper [ गणेश मंत्र]
गणेश मंत्र...
View Wallpaper [ गायत्री मंत्र]
गायत्री मंत्र...
View Wallpaper [ लक्ष्मी मंत्र]
लक्ष्मी मंत्र...
View Wallpaper [ लक्ष्मीगणेश मंत्र]
लक्ष्मीगणेश मंत्र...
View Wallpaper [ कृष्ण मंत्र]
कृष्ण मंत्र...
View Wallpaper [ शनि मंत्र]
शनि मंत्र...
View Wallpaper [ हनुमान मंत्र]
हनुमान मंत्र...
View Wallpaper [ श्री विष्णु मूल मंत्र]
श्री विष्णु मूल मंत्र...
View Wallpaper [ कमला माता मंत्र]
कमला माता मंत्र...
View Wallpaper [ कुबेर मंत्र]
कुबेर मंत्र...
View Wallpaper [ काली मंत्र]
काली मंत्र...
View Wallpaper [ दीवाली पूजा मंत्र]
दीवाली पूजा मंत्र...
View Wallpaper [ मीनाक्षी गायत्री मंत्र ]
मीनाक्षी गायत्री मंत्र ...
View Wallpaper [ सूर्यदेव के मंत्र ]
सूर्यदेव के मंत्र ...
View Wallpaper [ शांति पाठ मंत्र]
शांति पाठ मंत्र...
View Wallpaper [ दीपावली]
दीपावली...
View Wallpaper [ होली]
होली...
View Wallpaper [ रक्षाबन्धन]
रक्षाबन्धन...
View Wallpaper [ धनतेरस]
धनतेरस...
View Wallpaper [ जन्माष्टमी]
जन्माष्टमी...
View Wallpaper [ दशहरा]
दशहरा...
View Wallpaper [ गुड़ी पड़वा]
गुड़ी पड़वा...
View Wallpaper [ छठ पूजा]
छठ पूजा...
View Wallpaper [ वसन्त पञ्चमी]
वसन्त पञ्चमी...
View Wallpaper [ मकर संक्रान्ति]
मकर संक्रान्ति...
View Wallpaper [ नवरात्रि]
नवरात्रि...
View Wallpaper [ राम नवमी]
राम नवमी...
View Wallpaper [ महाशिवरात्रि]
महाशिवरात्रि...
View Wallpaper [ राधाष्टमी]
राधाष्टमी...
View Wallpaper [ यम द्वितीया भाई दूज]
यम द्वितीया भाई दूज...
View Wallpaper [ बैसाखी]
बैसाखी...
View Wallpaper [ घर में रखें 5 चीजें होगी धन की वर्षा ]
घर में रखें 5 चीजें होगी धन की वर्षा ...
View Wallpaper [ जीवन में लाये खुशियां]
जीवन में लाये खुशियां...
View Wallpaper [ बिना पैसे खर्च किए दूर होगी हर समस्या ]
बिना पैसे खर्च किए दूर होगी हर समस्या ...
View Wallpaper [ लाल किताब के 5 टोटके और उपाय ]
लाल किताब के 5 टोटके और उपाय ...
View Wallpaper [ मनोकामना पूर्ति के अचूक टोटके]
मनोकामना पूर्ति के अचूक टोटके...
View Wallpaper [ ससुराल में सुखी रहने के लिए ]
ससुराल में सुखी रहने के लिए ...
View Wallpaper [ सोई हुई किस्मत को जगाने के उपाय]
सोई हुई किस्मत को जगाने के उपाय...
View Wallpaper [ फंसा हुआ धन निकालने के उपाय।]
फंसा हुआ धन निकालने के उपाय।...
View Wallpaper [ सुखी वैवाहिक जीवन के लिये उपाय ]
सुखी वैवाहिक जीवन के लिये उपाय ...
View Wallpaper [ बनाएं खुद का घर]
बनाएं खुद का घर...
View Wallpaper [ भूत -बाधा होने पर ]
भूत -बाधा होने पर ...
View Wallpaper [ बुरे सपने पर करे ये काम ]
बुरे सपने पर करे ये काम ...
View Wallpaper [ चावल के चमत्कारी गुण]
चावल के चमत्कारी गुण...
View Wallpaper [ छिपकली से जुड़े शगुनअपशगुन ]
छिपकली से जुड़े शगुनअपशगुन ...
View Wallpaper [ छोटे नींबु के बड़े गुण]
छोटे नींबु के बड़े गुण...
View Wallpaper [ शुक्र ग्रह शांति उपाय ]
शुक्र ग्रह शांति उपाय ...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड मंगलाचरण]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड मंगलाचरण...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड गुरु वंदना]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड गुरु वंदना...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड ब्राह्मणसंत वंदना]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड ब्राह्मणसंत वंदना...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड खल वंदना]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड खल वंदना...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड संतअसंत वंदना]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड संतअसंत वंदना...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड रामरूप से जीवमात्र की वंदना]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड रामरूप से जीवमात्र की वंदना...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड तुलसीदासजी की दीनता और राम भक्तिमयी कविता की महिमा]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड तुलसीदासजी की दीनता और राम भक्तिमयी कविता की महिमा...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड कवि वंदना]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड कवि वंदना...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड वाल्मीकि वेद ब्रह्मा देवता शिव पार्वती आदि की वंदना]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड वाल्मीकि वेद ब्रह्मा देवता शिव पार्वती आदि की वंदना...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड श्री सीतारामधामपरिकर वंदना]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड श्री सीतारामधामपरिकर वंदना...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड श्री नाम वंदना और नाम महिमा]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड श्री नाम वंदना और नाम महिमा...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड श्री रामगुण और श्री रामचरित् की महिमा]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड श्री रामगुण और श्री रामचरित् की महिमा...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड मानस निर्माण की तिथि]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड मानस निर्माण की तिथि...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड मानस का रूप और माहात्म्य]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड मानस का रूप और माहात्म्य...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड याज्ञवल्क्यभरद्वाज संवाद तथा प्रयाग माहात्म्य]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड याज्ञवल्क्यभरद्वाज संवाद तथा प्रयाग माहात्म्य...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड सती का भ्रम श्री रामजी का ऐश्वर्य और सती का खेद]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड सती का भ्रम श्री रामजी का ऐश्वर्य और सती का खेद...
View Wallpaper [ अर्जुनविषादयोग अध्याय एक ]
अर्जुनविषादयोग अध्याय एक ...
View Wallpaper [ सांख्ययोग अध्याय दो ]
सांख्ययोग अध्याय दो ...
View Wallpaper [ कर्मयोग ~ अध्याय तीन ]
कर्मयोग ~ अध्याय तीन ...
View Wallpaper [ ज्ञानकर्मसंन्यासयोग अध्याय चार]
ज्ञानकर्मसंन्यासयोग अध्याय चार...
View Wallpaper [ कर्मसंन्यासयोग ~ अध्याय पाँच]
कर्मसंन्यासयोग ~ अध्याय पाँच...
View Wallpaper [ आत्मसंयमयोग अध्याय छठा ]
आत्मसंयमयोग अध्याय छठा ...
View Wallpaper [ ज्ञानविज्ञानयोग अध्याय सातवाँ ]
ज्ञानविज्ञानयोग अध्याय सातवाँ ...
View Wallpaper [ अक्षरब्रह्मयोग अध्याय आठवाँ ]
अक्षरब्रह्मयोग अध्याय आठवाँ ...
View Wallpaper [ राजविद्याराजगुह्ययोग अध्याय नौवाँ ]
राजविद्याराजगुह्ययोग अध्याय नौवाँ ...
View Wallpaper [ विभूतियोग अध्याय दसवाँ ]
विभूतियोग अध्याय दसवाँ ...
View Wallpaper [ विश्वरूपदर्शनयोग अध्याय ग्यारहवाँ ]
विश्वरूपदर्शनयोग अध्याय ग्यारहवाँ ...
View Wallpaper [ भक्तियोग अध्याय बारहवाँ ]
भक्तियोग अध्याय बारहवाँ ...
View Wallpaper [ क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग अध्याय तेरहवाँ ]
क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग अध्याय तेरहवाँ ...
View Wallpaper [ गुणत्रयविभागयोग अध्याय चौदहवाँ ]
गुणत्रयविभागयोग अध्याय चौदहवाँ ...
View Wallpaper [ पुरुषोत्तमयोग अध्याय पंद्रहवाँ ]
पुरुषोत्तमयोग अध्याय पंद्रहवाँ ...
View Wallpaper [ दैवासुरसम्पद्विभागयोग अध्याय सोलहवाँ ]
दैवासुरसम्पद्विभागयोग अध्याय सोलहवाँ ...
View Wallpaper [ हनुमान सहस्त्र नाम ]
हनुमान सहस्त्र नाम ...
View Wallpaper [ श्री शिवमहिम्नस्तोत्रम्]
श्री शिवमहिम्नस्तोत्रम्...
View Wallpaper [ भगवती स्तोत्र]
भगवती स्तोत्र...
View Wallpaper [ अर्गला स्तोत्रम्]
अर्गला स्तोत्रम्...
View Wallpaper [ नारायण स्तोत्रम्]
नारायण स्तोत्रम्...
View Wallpaper [ नारायण सुक्ता]
नारायण सुक्ता...
View Wallpaper [ श्री वेंकटेश्वर सुप्रभात]
श्री वेंकटेश्वर सुप्रभात...
View Wallpaper [ आच्यता अष्टकोम]
आच्यता अष्टकोम...
View Wallpaper [ गोविन्दा शक्तम]
गोविन्दा शक्तम...
View Wallpaper [ अश्ता लक्ष्मी स्तोत्रम्]
अश्ता लक्ष्मी स्तोत्रम्...
View Wallpaper [ दक्षहां मुर्थ् स्तोत्रम् ]
दक्षहां मुर्थ् स्तोत्रम् ...
View Wallpaper [ कालभैरवाष्टकम्]
कालभैरवाष्टकम्...
View Wallpaper [ शिव तांडव स्तोत्रम]
शिव तांडव स्तोत्रम...
View Wallpaper [ श्री द्वादश ज्योतिर्लिङ्ग स्तोत्रम्]
श्री द्वादश ज्योतिर्लिङ्ग स्तोत्रम्...
View Wallpaper [ मधुराष्टकं]
मधुराष्टकं...
View Wallpaper [ श्री महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् ]
श्री महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् ...
View Wallpaper [ गणेश जी की आरती]
गणेश जी की आरती...
View Wallpaper [ श्री गंगाजी की आरती]
श्री गंगाजी की आरती...
View Wallpaper [ श्री रामायणजी की आरती]
श्री रामायणजी की आरती...
View Wallpaper [ श्री सरस्वतीजी की आरती]
श्री सरस्वतीजी की आरती...
View Wallpaper [ श्री वैष्णोजी की आरती]
श्री वैष्णोजी की आरती...
View Wallpaper [ बृहस्पति देवता की आरती]
बृहस्पति देवता की आरती...
View Wallpaper [ बालाजी की आरती]
बालाजी की आरती...
View Wallpaper [ भगवान श्री हरि विष्णु जी की आरती]
भगवान श्री हरि विष्णु जी की आरती...
View Wallpaper [ दुर्गा जी की आरती]
दुर्गा जी की आरती...
View Wallpaper [ हनुमानजी की आरती]
हनुमानजी की आरती...
View Wallpaper [ काली माता की आरती]
काली माता की आरती...
View Wallpaper [ लक्ष्मीजी की आरती]
लक्ष्मीजी की आरती...
View Wallpaper [ संतोषी माता की आरती]
संतोषी माता की आरती...
View Wallpaper [ शिवजी की आरती]
शिवजी की आरती...
View Wallpaper [ श्रीकृष्ण जी की आरती]
श्रीकृष्ण जी की आरती...
View Wallpaper [ श्री कुंज बिहारी की आरती]
श्री कुंज बिहारी की आरती...
View Wallpaper [ मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने]
मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने...
View Wallpaper [ मेरा मन पंछी ये बोले उर बृन्दाबन जाऊँ]
मेरा मन पंछी ये बोले उर बृन्दाबन जाऊँ...
View Wallpaper [ मीठे रस से भरी रे राधा रानी लागे]
मीठे रस से भरी रे राधा रानी लागे...
View Wallpaper [ राधा का नाम अनमोल बोलो राधे राधे]
राधा का नाम अनमोल बोलो राधे राधे...
View Wallpaper [ न जी भर के देखा ना कुछ बात की]
न जी भर के देखा ना कुछ बात की...
View Wallpaper [ ज़रा इतना बता दे कान्हा तेरा रंग काला क्यों]
ज़रा इतना बता दे कान्हा तेरा रंग काला क्यों...
View Wallpaper [ साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता सबसे महान]
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता सबसे महान...
View Wallpaper [ हे माँ संतोषीमाँ संतोषी॥]
हे माँ संतोषीमाँ संतोषी॥...
View Wallpaper [ सुखी बसे संसार सब दुखिया रहे न कोय]
सुखी बसे संसार सब दुखिया रहे न कोय...
View Wallpaper [ तेरे लाला ने माटी खाई जसोदा सुन माई]
तेरे लाला ने माटी खाई जसोदा सुन माई...
View Wallpaper [ राधे राधे बोल श्याम भागे चले आयंगे]
राधे राधे बोल श्याम भागे चले आयंगे...
View Wallpaper [ मत कर तू अभिमान रे बंदे, झूठी तेरी शान रे ।]
मत कर तू अभिमान रे बंदे, झूठी तेरी शान रे ।...
View Wallpaper [ तेरे मन में राम तन में राम रोम रोम में राम रे]
तेरे मन में राम तन में राम रोम रोम में राम रे...
View Wallpaper [ वो काला एक बांसुरी वाल सुध बिसरा गया मोरी रे]
वो काला एक बांसुरी वाल सुध बिसरा गया मोरी रे...
View Wallpaper [ दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे]
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे...
View Wallpaper [ हे नाम रे सबसे बड़ा तेरा नाम]
हे नाम रे सबसे बड़ा तेरा नाम...
View Wallpaper [ अचला एकादशी]
अचला एकादशी...
View Wallpaper [ अगहन मास की कथा]
अगहन मास की कथा...
View Wallpaper [ आषाढ़ मास की कथा]
आषाढ़ मास की कथा...
View Wallpaper [ आश्विन मास की कथा]
आश्विन मास की कथा...
View Wallpaper [ बड़ सायत अमावस वट् सावित्री पूजन ]
बड़ सायत अमावस वट् सावित्री पूजन ...
View Wallpaper [ वैशाख मास की कथा]
वैशाख मास की कथा...
View Wallpaper [ भाद्रपद ( भादो ) मास की कथा]
भाद्रपद ( भादो ) मास की कथा...
View Wallpaper [ चैत्र मास की कथा]
चैत्र मास की कथा...
View Wallpaper [ देवशयनी एकादशी]
देवशयनी एकादशी...
View Wallpaper [ फाल्गुन मास की कथा ]
फाल्गुन मास की कथा ...
View Wallpaper [ गंगावतरण की कथा]
गंगावतरण की कथा...
View Wallpaper [ गनगौर व्रत]
गनगौर व्रत...
View Wallpaper [ गुरू पूर्णिमा व्यास पूर्णिमा ]
गुरू पूर्णिमा व्यास पूर्णिमा ...
View Wallpaper [ ज्येष्ठ मास की कथा]
ज्येष्ठ मास की कथा...
View Wallpaper [ कामिका एकादशी व्रत की कथा]
कामिका एकादशी व्रत की कथा...
View Wallpaper [ कार्तिक मास की कथा ]
कार्तिक मास की कथा ...